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वाराणसी

सुरक्षा के बीच असुरक्षित बीएचयू, 700 गार्ड तैनात, फिर भी नहीं थम रहीं घटनाएं

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बीएचयू में छात्रों-शिक्षकों की सुरक्षा भगवान भरोसे

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल उठे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, हर साल सुरक्षा पर करीब 9.60 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं और 700 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, फिर भी 2024 से 2025 के बीच 300 से अधिक चोरी और 15 से अधिक छेड़खानी के मामले दर्ज किए गए हैं।

विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा के लिए आठ पेट्रोलिंग वाहन, एक व्रज वाहन, चार मोटरसाइकिल और 30 से अधिक प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य तैनात हैं। इसके अलावा 80 किलोमीटर की रेंज वाला वायरलेस सेट भी मौजूद है। बावजूद इसके, घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं।

हाल ही में कला संकाय के एक प्रोफेसर की पिटाई की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। इससे पहले भी छात्र, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पर हमले हो चुके हैं।

छात्रा से दुष्कर्म की घटना के बाद सुरक्षा को लेकर आईआईटी बीएचयू में सीआईएसएफ की टीम ने 15 दिन तक सुरक्षा का अध्ययन किया था। उस दौरान कई दावे किए गए, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।

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धरने पर बैठे शिक्षकों ने बताया कि पूरे परिसर में महज 26 से 30 सीसीटीवी कैमरे ही लगाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश महिला महाविद्यालय, एलडी गेस्ट हाउस, सेंट्रल ऑफिस, विश्वनाथ मंदिर और सिंह द्वार सहित छह मुख्य द्वारों पर हैं। जबकि विधि संकाय से एंफिथियेटर मार्ग तक एक भी सक्रिय कैमरा नहीं है। इसके उलट आईआईटी बीएचयू में 520 कैमरे लगे हैं।

शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया कि कई बार तो रूटीन सुरक्षा राउंड भी नहीं होता। हालांकि सभी डिप्टी चीफ प्रॉक्टर और प्रॉक्टर को सीयूजी नंबर दिए गए हैं, लेकिन सुरक्षा तंत्र की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

सवालों के घेरे में बीएचयू की सुरक्षा व्यवस्था:
बार-बार हो रही घटनाओं से स्पष्ट है कि कागज़ी सुरक्षा इंतज़ामों और ज़मीनी हकीकत में बड़ा फासला है। करोड़ों की लागत, सैकड़ों सुरक्षाकर्मी और संसाधनों के बावजूद अगर विश्वविद्यालय परिसर सुरक्षित नहीं है, तो यह व्यवस्थाओं पर सीधा प्रश्नचिह्न है।

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