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सुकमा: 10 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

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नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत दी गई सहायता

सुकमा। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद उन्मूलन की दिशा में एक और बड़ी सफलता मिली है। सुकमा जिले में 10 नक्सलियों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया। ये आत्मसमर्पण पुलिस की प्रेरणा और सरकारी पुनर्वास नीति के तहत प्रोत्साहन का परिणाम बताया जा रहा है।

पुलिस अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओपी) तिलकवार और उप पुलिस अधीक्षक (नक्सल ऑप्स) मनीष रात्रे की उपस्थिति में नक्सलियों ने बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया।

पुलिस अधिकारियों को किया जाएगा पुरस्कृत
आत्मसमर्पण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पुलिस अधिकारियों और सुरक्षा बलों को विशेष रूप से सराहा गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोंटा, 2री वाहिनी सीआरपीएफ और 223 वाहिनी सीआरपीएफ के जवानों का योगदान इस अभियान में उल्लेखनीय रहा।

पुलिस की ओर से बताया गया कि आत्मसमर्पित नक्सलियों में प्रमुख नामों में कवासी सोना, प्रदीप उर्फ रव्वा राकेश, मुचाकी देवा, करतम वेल्ली और माड़वी राकेश शामिल हैं। इन सभी को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करने में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका सराहनीय रही।

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पुनर्वास नीति के तहत सहायता
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की “नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति” के तहत सहायता प्रदान की गई। प्रत्येक नक्सली को 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि, कपड़े और अन्य आवश्यक सुविधाएं दी गईं।

पुलिस ने जानकारी दी कि आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पुनर्वास कार्यक्रमों का हिस्सा बनाया जाएगा। उन्हें रोजगार और शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने के साथ सुरक्षित जीवन का भरोसा दिया गया है।

सरकार की रणनीति का असर
पुलिस और प्रशासन ने इस सफलता को सरकार की प्रभावी नीतियों और जमीनी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों का परिणाम बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में और अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर शांति और विकास की प्रक्रिया में शामिल होंगे।

पुलिस अधिकारियों ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश बताया और कहा कि हिंसा छोड़कर शांति की राह पर लौटना हर किसी के लिए लाभकारी है।

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