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गाजीपुर

सावन में पशुओं पर मंडरा रहा संक्रमण का खतरा

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गलघोटू-एन्थ्रैक्स से दुधारू पशुओं की जान जोखिम में, समय पर टीकाकरण जरूरी

गाजीपुर। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र ऑकुशपुर गाजीपुर के वरिष्ठ पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. ए.के. सिंह ने मुहम्मदाबाद ब्लॉक में आयोजित ऑफ कैंपस प्रशिक्षण के दौरान पशुपालकों को सावधान किया। उन्होंने कहा कि मौसम के उतार-चढ़ाव और वातावरण में बढ़ती नमी के कारण जीवाणु एवं विषाणु तेजी से फैलते हैं, जिससे दुधारू पशुओं के साथ भेड़-बकरियों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

डा. सिंह ने बताया कि गलघोटू रोग खासकर भैंसों में होता है और इसमें मृत्यु दर 70 से 100 प्रतिशत तक होती है। इस बीमारी में पशु के गले में सूजन आ जाती है, सांस लेने में दिक्कत होती है और घर्र-घर्र की आवाज सुनाई देती है। समय पर इलाज होने पर नियंत्रण संभव है, अन्यथा पशु की मृत्यु निश्चित है। एन्थ्रैक्स एक और खतरनाक बीमारी है जिसमें पशु अचानक नाक, मुंह और मलद्वार से खून बहने के बाद बिना अन्य लक्षण दिखाए 8 से 10 घंटे में मर जाता है।

लंगड़ी भी जीवाणुजनित रोग है जिसमें खुरों में घाव और जांघ के पास सूजन हो जाती है। वहीं विषाणुजनित खुर्पका-मुंहपका बीमारी में पशु के मुंह, जीभ, मसूड़े और होठों पर छाले पड़ जाते हैं, जो 3 से 4 दिन में फूटकर घाव बना देते हैं। इससे पशु चारा नहीं खा पाता और दूध उत्पादन भी रुक जाता है। समय पर इलाज न होने पर पशु की मौत भी हो सकती है।

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डा. सिंह ने बताया कि इस मौसम में अफरा और डायरिया जैसी पाचन संबंधी बीमारियां भी आम हैं। इन सभी बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर उपाय टीकाकरण है। छह माह से ऊपर के सभी स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना जरूरी है।

उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि वे अपने कीमती दुधारू पशुओं की सुरक्षा के लिए नियमित सफाई रखें, सतर्क रहें और पशु चिकित्सालय से समय पर टीकाकरण अवश्य कराएं, ताकि उनके पशु स्वस्थ रह सकें और दूध उत्पादन में किसी प्रकार की कमी न आए।

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