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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से राष्ट्रीय पंचांग समन्वय संगोष्ठी का आयोजन

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रिपोर्ट- प्रदीप कुमार

Varanasi: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से धाम परिसर स्थित त्र्यंबकेश्वर हाल में राष्ट्रीय पंचांग समन्वय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस संगोष्ठी की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडे की ओर से की गई। उन्होंने पंचांग समन्वय की आवश्यकता पर वक्तव्य देते हुए कहा कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास इस कार्य को संगोष्ठी के माध्यम से निश्चित रूप से करेगा ताकि भविष्य में पंचांग संबंधित विवाद पूर्णतया समाप्त हों। साथ ही तिथि, वार, नक्षत्र तथा संवत्सर आदि के निर्णय में भी समन्वय होगा। इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख विद्वान प्रोफ़ेसर राम चंद्र पांडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह संगोष्ठी अत्यंत उपादेय है। इस प्रकार के विवाद से जनमानस भ्रम में पड़ जाता है। इसलिए कम से कम काशी के समस्त पंचांग कर्ता विश्वनाथ धाम में एकत्र होकर चिंतन और मंथन करें, साथ ही काशी के समस्त पंचांग में एक तरह का व्रत, पर्व इत्यादि का निर्णय करके प्रकाशित करें, जिससे जनमानस का भ्रम दूर किया जा सके। इस संगोष्ठी के सारस्वत अतिथि पंडित डॉ कामेश्वर उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में कहा कि संवत्सर का नाम हमारे संकल्प में जुड़ा होता है। यह बृहस्पति ग्रह के अनुसार होता है। यह प्रायः 84 वर्ष पर लुप्त होता है। अतः गणितागत संवत्सर का नामोल्लेख सही हो यह आवश्यक है। इस संगोष्ठी के सम्मानित अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व संकाय प्रमुख प्रोफेसर चंद्रमा पांडे ने पंचांग में समन्वय पर बल देते हुए पंचांग मतभेद के मूल पर विचार करने को कहा। साथ ही न्यास के सम्मानित सदस्य ज्योतिष के विद्वान प्रोफेसर चंद्रमौली उपाध्याय ने इस संगोष्ठी में आए हुए विद्वानों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। इस संगोष्ठी में पंचांगो के अंतर पर पंडित सत्येंद्र मिश्र तथा पंडित रविशंकर भार्गव ने अपने विचार रखे। इस संगोष्ठी में काशी के अनेक विद्वान प्रोफेसर अमित कुमार शुक्ल, प्रोफेसर शत्रुघ्न त्रिपाठी, प्रोफेसर रामजीवन मिश्रा, प्रोफेसर महेंद्र पांडे, प्रोफेसर सुभाष पांडे, डा रामचंद्र पाठक सहित बड़ी संख्या में विद्वान और मंदिर के पुजारी उपस्थित रहे। इस संगोष्ठी के आयोजन पर मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा और मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने सराहना की।
इस संगोष्ठी का संयोजन न्यास के सदस्य प्रोफेसर बृजभूषण ओझा ने और स्वागत भाषण में मंदिर न्यास के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखिलेश मिश्रा ने किया।

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