Connect with us

गोरखपुर

श्रीमद्भागवत कथा में राम-विवाह और कृष्ण-जन्मोत्सव की श्रवण रस धारा सुन भक्त भाव-विभोर

Published

on

भगवान के पावन प्राकट्य और दिव्य परिणय की अनुपम लीला

गोरखपुर। जनपद के खजनी थाना क्षेत्र अन्तर्गत महिलवार गाँव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण में धर्म और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। 22 नवंबर से प्रारंभ इस दिव्य आयोजन की श्रवण-रसधारा 30 नवंबर तक निरंतर प्रवाहित होगी। कथा व्यास आचार्य पंडित अरविंद प्रताप मिश्र उर्फ़ संगम जी के अमृतमय वचनों के आगे श्रोतागण का मन हर क्षण भाव-विभोर हो रहा है। उनकी वाणी में न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा है, बल्कि ऐसा संगीत और माधुर्य है जो सीधे हृदय के अंतरतम को स्पर्श करता है।

कार्यक्रम के मुख्य यजमान कमला गुप्ता एवं उनकी धर्मपत्नी निर्मला देवी द्वारा बड़े ही श्रद्धाभाव और भक्ति-पूर्ण समर्पण के साथ कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा स्थल पर सजी मनमोहक झांकियाँ, पुष्प-वृष्टि और भक्तिमय वातावरण मानो स्वर्गीय आभा बिखेर रहा है।

कथा की विशेषता यह है कि संगीत की संगत भी अद्वितीय और प्रभावशाली है। मुकेश शर्मा आर्गन पर अपनी मधुर धुनों से भक्तिभाव को और प्रगाढ़ कर रहे हैं, वहीं नीलमणि उपाध्याय तबले पर ताल-लय का ऐसा संगम प्रस्तुत कर रहे हैं कि पूरा पंडाल दिव्य रस में डूब जाता है। इन दोनों की संगत से कथा और भी जीवंत, मधुर और आध्यात्मिक हो उठी है।

भगवान श्री राम और माता सीता का दिव्य परिणय

Advertisement

बीते दिवस कथा में आचार्य पंडित अरविंद प्रताप मिश्र जी ने भगवान श्री राम और माता जानकी के पावन परिणय की लीला का ऐसा वर्णन किया कि हर श्रोता स्वयं को जनकपुरी की उसी पावन भूमि पर उपस्थित महसूस करने लगा। विवाहोत्सव की मंगलध्वनि, बारातियों की उमंग, देवताओं की पुष्प-वृष्टि और विवाह गीतों की मधुर गूंज ने कथा-स्थल को आनंदमय बना दिया।

आचार्य जी ने जब मधुर लोकगीतों में भावों की धारा प्रवाहित की—
“आजु जनकपुर महँ बाजत बधईया…”
तो श्रोता बंधु भावविभोर हो उठे। विवाह के संस्कारों, राम-सीता के दिव्य मिलन और भक्ति की महिमा का सौंदर्यपूर्ण वर्णन पूरे पंडाल में गूंजता रहा।

भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव की आध्यात्मिक महिमा

आज के कथा दिवस में सम्पूर्ण वातावरण कृष्णमय हो उठा। आचार्य जी ने जब देवकी-वसुदेव के कारागार का वर्णन किया, तो उपस्थित भक्तजन उस करुण और चमत्कारिक क्षण से स्वयं को जोड़ते चले गए।

कथा के चरम पर जब उन्होंने श्री कृष्ण के अवतरण का वर्णन किया—
“अर्धरात्रि, देवकी के करुण अश्रु, और तभी प्रकट होते हैं स्वयं भगवान…”
तो पूरा पंडाल “जय कन्हैया लाल की” के जयघोष से गूंज उठा।

Advertisement

नीलमणि उपाध्याय के तबले की लय और मुकेश शर्मा के आर्गन की मधुर धुन ने उस क्षण को और भी दिव्यता प्रदान की।
“सोइ रे नंदलाला…”
की लोरी गूंजते ही भक्तों की आंखें नम हो उठीं।

राम विवाह और कृष्ण जन्म की लीला—एक दिव्य समागम

एक ओर मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आदर्श परिणय, दूसरी ओर बाल गोपाल कृष्ण का अलौकिक जन्म। दोनों लीलाओं के सुमधुर श्रवण से भक्तजन धन्य हो उठे। महिलवार का यह आध्यात्मिक आयोजन न केवल दिव्य रस से सराबोर है बल्कि लोगों के जीवन में भक्ति, संस्कार और श्रद्धा की अमिट छाप छोड़ रहा है। आगे की कथाएँ भी भक्तों को आत्मिक आनंद से भरने वाली हैं।

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page