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गोरखपुर

श्रीमद्भागवत कथा देती है मानवता के कल्याण का संदेश : श्वेतिमा माधव प्रिया

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विश्व की सबसे कम आयु की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास ने सुनाया गोकर्ण उपाख्यान, श्रद्धालु हुए भावविभोर

गोरखपुर। मनुष्य के जीवन से अज्ञान, अहंकार और पापकर्मों का नाश कर उसमें भक्ति, प्रेम और ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाली श्रीमद्भागवत कथा वास्तव में मोक्षदायिनी है। इसी दिव्य अनुभूति का साक्षात्कार तब हुआ जब रुद्रपुर तहसील के समुदा ग्राम में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस पर विश्व की सबसे कम आयु की अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया ने अपने मधुर कंठ से गोकर्ण उपाख्यान का रसपूर्ण वर्णन किया।

मात्र आठ वर्ष की आयु में बाल व्यास श्वेतिमा ने जब गोकर्ण और धुंधकारी का हृदयस्पर्शी प्रसंग सुनाया, तो पूरा कथा पंडाल “हरि-हरि” और “राधे-श्याम” के जयघोष से गूंज उठा। उन्होंने कहा कि धुंधकारी के पापों का प्रायश्चित तब हुआ जब ऋषि गोकर्ण ने सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथा श्रवण से ही आत्मा को मुक्ति प्राप्त हुई यह इस कथा का सार है कि “भागवत केवल जीवन नहीं, मृत्यु के पार भी आत्मा का उद्धार करती है।”

श्वेतिमा ने कहा “श्रीमद्भागवत वह ग्रंथ है जो कर्म, ज्ञान और भक्ति तीनों का अद्भुत संगम है। जब मनुष्य लोभ, क्रोध और अहंकार का त्याग कर प्रेम, करुणा और समर्पण को अपनाता है, तभी जीवन सार्थक होता है।”

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कथा के दौरान श्रद्धालुओं की आंखें भावविभोर थीं और वातावरण पूर्णतः भक्तिमय। इस अवसर पर मुख्य यजमान प्रभु नाथ पांडेय, धरा धाम विश्व सद्भाव पीठ के प्रमुख सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पांडेय, आचार्य गौरव पांडेय, आचार्य विशाल शुक्ला, डॉ. रागिनी पांडेय, कंचन पांडेय, वकील पांडेय, कथा संयोजक अनिल पांडेय, सुनील पांडेय, विनय पांडेय, शशांक पांडेय, सर्वेश्वर पांडेय, पंकज राय, बाल भक्त सौराष्ट्र, हर्ष व उत्कर्ष सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।

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