गाजीपुर
शक्ति की देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच क्या दुश्मनी थी
बहरियाबाद (गाजीपुर)। शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध की बीच की दुश्मनी का मुख्य कारण यह था कि महिषासुर एक अत्यंत दुष्ट और शक्तिशाली राक्षस था जिसने अपने बल के अहंकार में तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) में भयानक आतंक फैला रखा था, और उसने देवताओं को स्वर्ग से निकाल दिया था।
महिषासुर ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसका वध कोई पुरुष, देवता या दानव नहीं कर सकता है। इस वरदान के कारण वह अजेय हो गया और उसका अहंकार बहुत बढ़ गया। वरदान पाकर उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया, इंद्र को हराकर स्वर्गलोक पर कब्ज़ा कर लिया और सभी देवताओं के अधिकार छीन लिए।
महिषासुर के अत्याचारों से पूरी सृष्टि त्राहि-त्राहि कर उठी। जब देवता भी उसे परास्त नहीं कर सके, तो वे त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के पास गए। देवताओं की प्रार्थना सुनकर और महिषासुर के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए, सभी प्रमुख देवताओं (शिव, विष्णु, ब्रह्मा आदि) की शक्तियों के तेज से एक दिव्य शक्ति का जन्म हुआ। यही शक्ति देवी दुर्गा कहलायीं।
देवी दुर्गा को सभी देवताओं ने अपने-अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र दिए। देवी दुर्गा ने सिंह पर सवार होकर महिषासुर और उसकी विशाल सेना से भयानक युद्ध किया। यह युद्ध नौ दिनों तक चला (जिसे नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है)। महिषासुर बार-बार अपना रूप बदलता रहा (जैसे भैंसा, सिंह, हाथी)। अंत में, दसवें दिन (जो विजयादशमी कहलाता है), जब महिषासुर फिर से भैंसे का रूप धारण कर रहा था, तब देवी दुर्गा ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। यह स्थान जहाँ माँ दुर्गा और महिषासुर की लड़ाई हुई प्रांत कर्नाटक में मैसूर शहर के अंतर्गत आता है और चामुंडा पहाड़ी के नाम से विख्यात है।
आज भी जहाँ माँ दुर्गा और महिषासुर का युद्ध हुआ, वहाँ महिषासुर की ५२ फ़ुट ऊँची प्रतिमा मंदिर के बाहर विराजमान है। भक्तगण अपनी आस्था लेकर माता के दरबार में हाज़िरी लगाते हैं और माता सबकी कामना को पूरी करती हैं। यहाँ माता को चामुंडा देवी के नाम से जाना जाता है।
यह दुश्मनी व्यक्तिगत नहीं थी, बल्कि बुराई पर अच्छाई, अन्याय पर न्याय और अत्याचार पर धर्म की विजय स्थापित करने के लिए थी। देवी दुर्गा ने जगत जननी के रूप में दुष्ट महिषासुर का वध करके सृष्टि को उसके आतंक से मुक्त कराया। इसी कारण उन्हें महिषासुर मर्दिनी (महिषासुर का वध करने वाली) भी कहा जाता है।
