वाराणसी
वाराणसी : जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र की 10 हजार से ज्यादा फाइलें अटकीं, जनता बेहाल

वाराणसी नगर निगम में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया जनता के लिए बड़ी परेशानी बन गई है। शहर में 10,000 से अधिक फाइलें लंबित पड़ी हैं, और लोगों को महीनों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
एक पिता, जो अपने बेटे के जन्म प्रमाण पत्र में हुई गलती सुधारने के लिए तीन महीने से दौड़ रहे हैं, बताते हैं कि कभी आख्या रिपोर्ट तो कभी दस्तावेज की कमी के नाम पर उन्हें बार-बार इधर-उधर भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि जन्म प्रमाण पत्र में सुधार नहीं हुआ, तो उनके बेटे का एडमिशन अटक सकता है और उसका करियर खतरे में पड़ सकता है।
इसी तरह, रामनगर की कुमकुम सेठ छह महीने से यूपी और बिहार के बीच फंसी हैं। उनके आधार कार्ड में जन्मतिथि की गलती सुधारने के लिए पहले तीन महीने जोनल कार्यालय और फिर तीन महीने तहसील के चक्कर काटने पड़े, लेकिन अब भी समाधान नहीं मिला।
नगर निगम और तहसील कार्यालयों में जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र से जुड़ी हजारों फाइलें अटकी हुई हैं। कभी सर्वर डाउन, कभी दस्तावेजों की कमी तो कभी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण जनता परेशान है। नए नियमों के तहत जन्म प्रमाण पत्र अब सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज बन चुका है, लेकिन इसके पंजीकरण और संशोधन की प्रक्रिया बेहद जटिल हो गई है। 21 दिनों के भीतर अस्पताल या क्षेत्रीय सभासद से प्रमाणित दस्तावेजों के आधार पर यह प्रमाण पत्र आसानी से मिल सकता है, लेकिन इसके बाद प्रक्रिया लंबी और कठिन हो जाती है।
21 दिनों के बाद प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन जोनल कार्यालय में जमा करना होता है, जहां से फाइल नगर निगम मुख्यालय जाती है। फिर तहसील में जांच के बाद जिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की आख्या रिपोर्ट लगती है, जिसके बाद दोबारा नगर निगम मुख्यालय और फिर जोनल कार्यालय में जाकर प्रमाण पत्र जारी होता है। इस लंबी प्रक्रिया में महीनों लग रहे हैं, जिससे आम जनता परेशान है।
नगर निगम में लगातार बढ़ रही फाइलों और जनता की परेशानी को देखते हुए मेयर अशोक तिवारी ने अधिकारियों को प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकारी दफ्तरों की लापरवाही खत्म होगी, या जनता यूं ही दफ्तरों के चक्कर काटती रहेगी?