वाराणसी
महिलाओं को निर्णय लेने के अवसर प्रदान किए जाय- प्रो आभा चौहान
“महिला सशक्तिकरण व मतदान व्यवहार” विषय पर राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन
वाराणसी।श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी में समाजशास्त्र विभाग तथा आई क्यू ए सी के संयुक्त तत्वावधान में “महिला सशक्तिकरण और मतदान व्यवहार” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय समाजशास्त्र परिषद की नव निर्वाचित प्रथम महिला अध्यक्ष तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू की समाजशास्त्र की प्रोफेसर आभा चौहान रहीं ।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रुप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के समाज कार्य विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार चौधरी तथा राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रेशम लाल उपस्थित रहे । ‘महिला सशक्तिकरण व मतदान व्यवहार’ विषय पर अपना वक्तव्य देते हुए प्रोफेसर आभा चौहान ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें निर्णय लेने की क्षमता प्रदान की जाए। हमारा समाज पितृसत्तात्मक रहा है जिसमें महिलाओं ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया किंतु महिलाओं को हमेशा शक्ति से दूर कर उन्हें हाशिए पर रखा गया अतः वर्तमान परिदृश्य में यह आवश्यक है कि सामाजिक ,आर्थिक, राजनीतिक तथा बड़े स्तर से लेकर छोटे स्तर तक सभी पदों पर महिलाओं को पुरुषों के समान भागीदारी प्रदान की जाए ।महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए यह आवश्यक है कि 33% भागीदारी से संबंधित बिल लोकसभा से पारित किया जाए ।राज्यसभा में इस बिल के पारित होने के एक दशक बाद भी लोकसभा में इस बिल का पारित ना होना पुरुषों का महिलाओं के प्रति मानसिकता को ही दर्शाता है।यह राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का भी द्योतक है।वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को बदलने के लिए यह आवश्यक है कि हम धर्म ,जाति ,लिंग,संप्रदाय,क्षेत्रवाद भेद से ऊपर उठकर अपने मत का प्रयोग करें। पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 33% आरक्षण मिल जाने तथा स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों पर चयनित होने पर भी राजनीति में उनकी सक्रिय भागीदारी अक्सर परिवार के पुरुष सदस्यों द्वारा ही निभाया जाता है। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ रेशम लाल ने यह बताया कि प्राचीन भारत में महिलाओं की स्थिति पुरुषों के समान रही किंतु बाद के कालो में महिलाओं की स्थिति में गिरावट आई। महिलाओं की स्थिति निम्न होने के कारणों में धर्म की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।धर्म ने हमेशा महिलाओं को कर्तव्य से बांधा। उसके अधिकारों पर बहुत कम बल दिया।सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक सभी क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति पुरुषों के बराबर नहीं है। पुरुष हमेशा स्त्रियों को इतना ही स्वतंत्रता देने के पक्ष में रहते हैं जिससे उनकी स्वतंत्रता बाधित ना हो। 90 के दशक में वैश्वीकरण के बढ़ते प्रभाव व बाजारीकरण ने महिलाओं की स्थिति को परिवर्तित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों पर भी विस्तार से चर्चा की। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी आज भी बहुत कम है क्योंकि हमारी सामाजिक संरचना ही हमारी सोच को निर्धारित करती है जिसके अनुसार यह माना जाता है कि राजनीति स्त्रियों के लिए नहीं है। कार्यक्रम के तीसरे वक्ता डॉ अनिल कुमार चौधरी ने यह बताया कि महिला सशक्तिकरण को व्यवहार से जोड़ना बहुत आवश्यक है केवल कानून और नियम बनाने से ही सशक्तिकरण नहीं हो सकता। हमारे समाज की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि शिक्षा और समाज के बीच कोई संबंध ही नहीं है। स्वतंत्रता के बाद महिला और पुरुष की साक्षरता में वृद्धि हुई। वहीं दूसरी ओर जनसंख्या के स्तर पर देखा गया तो लिंग अनुपात का अंतर भी बढ़ता गया। शिक्षा के माध्यम से आदर्श और यथार्थ के बीच समन्वय स्थापित करना बहुत आवश्यक है ।शिक्षा की गुणवत्ता को सुधार कर ही हम समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। वर्तमान समय में हमारा मतदान व्यवहार आज भी धर्म ,जाति, लिंग व मीडिया से प्रभावित है। समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए आवश्यक है कि हम इन सब से ऊपर उठकर अपने मत का प्रयोग करें। कार्यक्रम की शुरुआत संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना तथा महाविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत कर किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. मिथिलेश सिंह ने किया ।प्राचार्य ने अतिथियों को अंग वस्त्र तथा उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया ।विषय स्थापना समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डा आभा सक्सेना ने किया।कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ कुमुद सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की आई क्यू ए सी की समन्वयक एवम अधिष्ठाता शैक्षणिक डॉ अनीता सिंह ने किया। कार्यक्रम में समाजशास्त्र विभाग के श्रीमती शोभा प्रजापति ,डॉ सुनीता सिंह, डॉ श्रृंखला देवी, डॉ बंदिनी कुमारी, श्रीमती साधना यादव, श्रीमती दुर्गा गौतम ,डॉ बृजेश पांडेय, डॉ विनीता पांडे, डॉ मीना अग्रवाल ,डॉ उषा चौधरी तथा महाविद्यालय के विभिन्न विषयों के प्रवक्ता तथा छात्राएं उपस्थित रहीं।