Connect with us

गाजीपुर

मनरेगा में महाघोटाला, काम के नाम पर हो रहा फर्जी भुगतान

Published

on

गाजीपुर। जमानियां ब्लॉक अंतर्गत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत विकास के नाम पर भारी भ्रष्टाचार सामने आ रहा है। इस योजना के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति वित्तीय वर्ष कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत रोजगार प्रदान किया जाना है, बशर्ते परिवार का कोई वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने का इच्छुक हो। यह योजना ग्रामीण परिवारों के लिए आजीविका का एक विकल्प है, जो रोजगार के बेहतर अवसरों से वंचित हैं।

मनरेगा एक मांग-आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है। अधिनियम की अनुसूची II के पैरा 2 के अनुसार, ग्राम पंचायत का यह कर्तव्य है कि वह आवेदन की जांच के बाद अधिकतम 15 दिनों के भीतर जॉब कार्ड जारी करे तथा श्रमिकों को वर्ष में न्यूनतम 100 दिन का कार्य प्रदान करे।

इस योजना की पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से भुगतान एवं सत्यापन प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण किया गया है, ताकि समय पर वेतन का वितरण सुनिश्चित हो सके और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा हो। इसी उद्देश्य से 2021-22 में राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (एनएमएमएस) शुरू की गई। 1 जनवरी, 2023 से सभी कार्यों (व्यक्तिगत लाभार्थी कार्यों को छोड़कर) में श्रमिकों की जियो-टैग की गई समय-मुद्रित तस्वीरों के साथ दिन में दो बार उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है।

यह जिम्मेदारी कार्यस्थल पर्यवेक्षकों को सौंपी गई है, जो ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराते हैं। ऐप को इस तरह संशोधित किया गया है कि सुबह की उपस्थिति के साथ पहली तस्वीर और चार घंटे बाद दूसरी तस्वीर ऑफलाइन मोड में कैप्चर की जा सकती है और नेटवर्क उपलब्ध होते ही अपलोड की जा सकती है। असाधारण परिस्थितियों में जिला कार्यक्रम समन्वयक को मैन्युअल उपस्थिति दर्ज करने का अधिकार दिया गया है।

Advertisement

सरकार द्वारा निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के बावजूद, जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा। जमानियां ब्लॉक में सरकारी कर्मचारी, निर्वाचित जनप्रतिनिधि, ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख और क्षेत्र पंचायत सदस्य मिलकर फर्जी मास्टर रोल तैयार कर रहे हैं। वास्तविक रूप से 10 मजदूर काम करते हैं, लेकिन भुगतान 50-50 मजदूरों के नाम पर किया जा रहा है। कई ऐसे लोगों के खातों में भी पैसे भेजे जा रहे हैं, जिन्होंने कभी मनरेगा में काम ही नहीं किया।

सूत्रों के अनुसार, इसमें सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों का बाकायदा कमीशन तय है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस गंभीर भ्रष्टाचार पर किसी बड़े अधिकारी की नजर नहीं जा रही। यदि निष्पक्ष जांच कराई जाए तो जिले में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।

Continue Reading
Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa