गाजीपुर
मदरसे में शिक्षा भी बिकाऊ और बच्चों का निवाला भी घोटाले की भेंट

मोहम्मदाबाद (गाजीपुर)। नगर क्षेत्र स्थित मदरसा फैजुल कुरान इस समय दो बड़े गंभीर मामलों को लेकर विवादों में घिरा हुआ है। एक ओर जहां शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों को लेकर गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मिड-डे मील योजना में भी भारी घोटाले की चर्चाएं नगर में ज़ोर पकड़ रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मदरसे में आधे से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति मोटी रकम लेकर की गई है। नियुक्तियों में कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, न कोई मेरिट देखी गई और न ही योग्यता का मूल्यांकन। बताया जा रहा है कि प्रबंधन कमेटी द्वारा लाखों रुपये लेकर शिक्षकों को नियुक्त कर दिया गया, जिससे योग्य और पात्र अभ्यर्थी दरकिनार कर दिए गए।
मदरसे की आड़ में चल रहे इस कथित नियुक्ति घोटाले ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस संस्थान से बच्चों को सही मार्गदर्शन और शिक्षण की उम्मीद होती है, वहीं अगर भ्रष्टाचार और पैसे का खेल हो रहा है, तो यह समाज के लिए बेहद चिंता का विषय है।
फर्जीवाड़े की दूसरी बड़ी परत मिड-डे मील योजना में सामने आई है। सरकार द्वारा गरीब, बेसहारा और मज़लूम बच्चों को पौष्टिक भोजन देने के लिए चलाई जा रही योजना का यहाँ मज़ाक उड़ाया जा रहा है।
आरोप हैं कि बच्चों के नाम पर राशन तो उठाया जाता है, लेकिन हकीकत में भोजन या तो बच्चों को ठीक से नहीं दिया जाता, या सामग्री को बाजार में बेच दिया जाता है। इसके अलावा बच्चों की हाजिरी भी फर्जी ढंग से दिखाई जाती है, ताकि सरकारी आंकड़ों में संख्या पूरी की जा सके और योजना की रकम का दुरुपयोग हो सके।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे घोटाले में कुछ ऐसे लोग भी संलिप्त बताए जा रहे हैं, जो खुद को धार्मिक चोले में लपेटकर समाज में ऊँचा दिखाने की कोशिश करते हैं — मुफ्ती, मौलाना और खानकाही रसूखदार। लेकिन हकीकत यह है कि ये लोग मासूम बच्चों के निवाले तक में सेंधमारी करने से नहीं चूक रहे।
अब सवाल उठता है कि क्या शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इस मामले की गंभीरता को समझेगा? क्या मदरसे में हो रही इस दोहरी लापरवाही — फर्जी शिक्षक भर्ती और मिड-डे मील घोटाले — की निष्पक्ष जांच होगी? या फिर यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह फाइलों की धूल में दबकर रह जाएगा?