खेल
भारत वैश्विक खेल महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर : डॉ. मनसुख मांडविया

2024 में खेल बजट 3 गुना बढ़ा, 2047 तक वैश्विक टॉप-5 बनने का लक्ष्य
नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री तथा केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बताया कि, वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनने की दिशा में देश निरंतर अग्रसर है और इस मिशन में भारतीय खेलों का पुनरुत्थान एक निर्णायक शक्ति बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने खेलों के प्रति दृष्टिकोण में आमूलचूल परिवर्तन किया है। अब देश का हर कोना विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं, पारदर्शी चयन प्रक्रिया और एथलीट-केंद्रित नीतियों से जुड़ चुका है।
हाल ही में भारतीय एथलीटों ने दक्षिण कोरिया में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप और मंगोलिया में विश्व कुश्ती रैंकिंग सीरीज में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। भारत ने इन आयोजनों में 24 और 21 पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया। ये सफलता सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि दशकों की नीति, निवेश और विजन की उपज है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आरंभ की गई टॉप्स योजना ने दर्जनों खिलाड़ियों को ओलंपिक और पैरा-ओलंपिक स्तर तक पहुंचाया। 2014 में 75 खिलाड़ियों से शुरू हुई यह योजना आज 213 से ज्यादा एथलीटों को सपोर्ट कर रही है। इनमें 52 पैरा एथलीट भी शामिल हैं। सरकार ने 10 नए खेलों को लक्षित कर ‘टारगेट एशियन गेम्स ग्रुप’ योजना की शुरुआत की है, जिससे पदक संभावनाएं और व्यापक हुई हैं।
खेल मंत्रालय का बजट 2013-14 के 1,219 करोड़ से बढ़कर 2025-26 में 3,794 करोड़ तक पहुंच गया है। ‘खेलो इंडिया’ योजना, जिसका बजट अब ₹1,000 करोड़ है, जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को खोजने और उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण देने में सफल रही है।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘अस्मिता लीग’ जैसे कार्यक्रम क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं। जहां 2021-22 में केवल 840 महिला खिलाड़ी थीं, वहीं 2024-25 तक इनकी संख्या 60,000 पार कर चुकी है।
देशभर में खेल बुनियादी ढांचे का अभूतपूर्व विकास हुआ है। वर्ष 2014 में जहां केवल 38 खेल परियोजनाएं थीं, आज यह संख्या 350 से अधिक हो गई है। भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा संचालित 23 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों के साथ ही 34 राज्य स्तरीय उत्कृष्टता केंद्र और 1,048 खेलो इंडिया केंद्र अब देश के हर कोने में खेल क्रांति को गति दे रहे हैं।
‘खेलो इंडिया गेम्स’ अब केवल खेल आयोजन नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है। इसके 19 संस्करणों में 56,000 से अधिक एथलीटों ने भाग लिया है। इसमें पैरा गेम्स ने खास बदलाव किया है, जहां कई एथलीट अब पैरालंपिक पदक विजेता बन चुके हैं।
भारत अब 2030 राष्ट्रमंडल खेलों और 2036 ओलंपिक की मेजबानी की तैयारी कर रहा है। इसके लिए स्कूल गेम्स, ट्राइबल गेम्स, वॉटर स्पोर्ट्स और स्वदेशी खेलों को भी मंच दिया जा रहा है।
फिटनेस की दिशा में भी ‘फिट इंडिया साइकिल संडे’ अभियान एक राष्ट्रीय अभियान बन चुका है। सिर्फ 150 प्रतिभागियों से शुरू हुआ यह अभियान अब देशभर के 10,000 स्थानों तक फैल गया है और 3.5 लाख से ज्यादा लोग इसका हिस्सा बन चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि 2036 में जब भारत ओलंपिक की मेजबानी करे तो देश पदक तालिका में टॉप 10 में शामिल हो और 2047 तक भारत खेलों में शीर्ष 5 वैश्विक शक्तियों में स्थान बनाए। इस दिशा में नीति, निवेश, नवाचार और निष्पक्षता – सभी के संयुक्त प्रयास भारत को खेलों में विश्वशक्ति बना रहे हैं।
खेल अब केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण का माध्यम बन चुके हैं। हर जीत अब सिर्फ खिलाड़ी की नहीं, बल्कि एक नए भारत की होती है – आत्मनिर्भर, संकल्पित और विजयी भारत की।