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भारतीय संविधान: कला और इतिहास का संगम
नई दिल्ली। भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी कलात्मक रचना है जो भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक विरासत को चित्रित करती है। इसे सजाने और संवारने में कई महान कलाकारों और सुलेखकों का योगदान रहा, जिनकी रचनात्मकता ने इसे विश्व में एक अनूठा स्थान दिया।भारत का सांस्कृतिक इतिहास संविधान में समाहितभारतीय संविधान में नंदलाल बोस और उनके सहयोगियों ने ऐतिहासिक और पौराणिक प्रसंगों को उकेरा।
इन चित्रणों में हड़प्पा सभ्यता से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक की यात्रा शामिल है। संविधान के पन्नों पर दर्शाए गए बारह ऐतिहासिक काल – जैसे वैदिक काल, मौर्य काल, गुप्त काल, मुस्लिम काल, ब्रिटिश काल, और स्वतंत्रता आंदोलन – भारतीय सभ्यता की विशालता और गहराई को प्रकट करते हैं।संविधान की प्रस्तावना और राष्ट्रीय प्रतीकसंविधान की प्रस्तावना के साथ इसकी शुरुआत होती है, जिसमें एक आयताकार बॉर्डर के चार कोनों में राष्ट्रीय प्रतीक के आधार से लिए गए चार पशु दर्शाए गए हैं। राष्ट्रीय प्रतीक का चित्रण करने वाले कलाकार दीनानाथ भार्गव ने शेरों के हावभाव और चाल को सजीव दिखाने के लिए महीनों तक कोलकाता चिड़ियाघर में अध्ययन किया। प्रस्तावना पृष्ठ को ब्योहर राममनोहर सिन्हा ने डिजाइन किया, जिनके हस्ताक्षर इस पृष्ठ के निचले कोने पर “राम” के रूप में अंकित हैं।
कला और कलाकारों का योगदानसंविधान में हर खंड एक चित्र से शुरू होता है और बॉर्डर डिज़ाइन में विभिन्न कलाकारों के हस्ताक्षर हैं। नंदलाल बोस, जमुना सेन, और ए. पेरुमल जैसे कलाकारों ने ऐतिहासिक और पौराणिक दृश्यों को उकेरा। भाग VI, जिसमें राज्यों की सूची है, भगवान महावीर का ध्यान मुद्रा में चित्रण दिखाता है। यह संविधान के उन चुनिंदा पृष्ठों में से एक है, जिन पर रंगीन चित्र हैं। ऐतिहासिक और पौराणिक कथाएँमूल संविधान में रामायण, महाभारत, अशोक का बौद्ध धर्म प्रचार, और महाबलीपुरम के गंगा अवतरण जैसे प्रसंगों को भी दर्शाया गया है। ये सभी चित्रण भारतीय सभ्यता के भौतिक और आध्यात्मिक परिदृश्यों का जीवंत प्रमाण हैं। सुलेख का अद्वितीय योगदान भारतीय संविधान मूल रूप से हाथ से लिखा गया दस्तावेज़ है। अंग्रेजी संस्करण को प्रेम बिहारी रायज़ादा ने और हिंदी संस्करण को वसंत के. वैद्य ने लिखा। रायज़ादा ने छह महीने तक लगातार काम करते हुए संविधान को अपनी इटैलिक शैली में सुलेखित किया। उनका एकमात्र अनुरोध था कि उनके हस्ताक्षर हर पृष्ठ पर हों।संविधान की रचनात्मकता केवल इसकी चित्रकारी तक सीमित नहीं है। यह भारतीय इतिहास, विविधता, और एकता का प्रतीक है। यह दस्तावेज़ भारत के अतीत की गौरवशाली परंपराओं को आत्मसात करता है और भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
भारतीय संविधान न केवल एक विधिक संरचना है, बल्कि यह भारत की आत्मा, उसके गौरव और उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। यह हमारी एकता और विविधता का उत्सव मनाने वाला एक अद्वितीय दस्तावेज़ है।