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गाजीपुर

भांवरकोल के गांवों में ताजिया बनाने और मजलिस का दौर शुरू

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गाजीपुर। अरबी व उर्दू कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम इस्लामिक वर्ष का पहला महीना होता है। मोहर्रम का महीना इमाम हुसैन की शहादत की याद में पूरी दुनिया में गम और अकीदत के साथ मनाया जाता है। इसी क्रम में भांवरकोल क्षेत्र के ग्राम पखनपुरा, महेशपुर प्रथम, रानीपुर, मिर्जाबाद, जसदेवपुर, कबीरपुर, सोनाडी, अवथही सहित दर्जनों गांवों में मातम और मजलिस का सिलसिला शुरू हो गया है।

गांवों में अकिदतमंद ताजिया बनाने में जुट गए हैं। या अली, या हुसैन और या अब्बास की सदाएं गूंजने लगी हैं। मजलिस में नम आंखों से शोहदाए कर्बला को याद किया जा रहा है। लोग नौहा पढ़कर इमाम हुसैन के परिवार पर ढाए गए जुल्मों को बयान कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कर्बला की जंग में यजीद की सेना ने पानी पीने तक पर रोक लगा दी थी और इमाम हुसैन को शहीद कर दिया गया था।

क्षेत्र के इमामबाड़ों के पास नियाज फातिहा का दौर भी शुरू हो गया है। गांवों के अखाड़ों पर बच्चे मातम और लकड़ी खेलने का अभ्यास कर रहे हैं। शिया समुदाय के लोगों ने काला लिबास धारण कर लिया है, जो गम का प्रतीक माना जाता है। मोहर्रम का यह महीना मुस्लिम समाज के लोग 9 और 10 तारीख तक मनाते हैं और इमाम हुसैन की शहादत को याद कर अलम, ताजिया और मजलिस के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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