वाराणसी
फाइलेरिया उन्मूलन : जनपद में शुरू हुआ ‘नाइट ब्लड सर्वे’ अभियान

ग्रामीण में आठ व शहर में 25 टीमें बनीं
20 सितंबर तक चलेगा अभियान
प्रतिदिन एक टीम तैयार करेगी 50 ब्लड स्लाइड
19 हजार से अधिक ब्लड स्लाइड सैंपल का लक्ष्य
वाराणसी| जनपद में लोगों को फाइलेरिया रोग से बचाव तथा संक्रमण का पता लगाने के साथ ही मूल्यांकन के उद्देश्य से गुरुवार से ‘नाइट ब्लड सर्वे’ अभियान शुरू हो गया है। यह अभियान 20 सितंबर तक चलेगा। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी।
सीएमओ ने बताया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत संचालित अभियान के लिए समस्त तैयारियाँ की जा चुकी हैं। इसके लिए ग्रामीण में आठ और नगर के लिए 25 टीमें बनाई गईं हैं। प्रतिदिन एक टीम 50 ब्लड स्लाइड एकत्रित करेंगी। प्रत्येक चार सदस्यीय टीम को 12 दिन में कुल 600 ब्लड स्लाइड बनाने का लक्ष्य दिया गया है। जांच में पॉज़िटिव पाये जाने पर सरकार द्वारा मरीजों का निःशुल्क इलाज कराया जाएगा।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व अभियान के नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि रात्रि रक्त पट्टिका एकीकरण (नाइट ब्लड सर्वे) के लिए टीम रात आठ बजे से लोगों के रक्त का सैंपल लेकर स्लाइड बनाने का कार्य कर रही है। जनपद के आठ ब्लॉक व 24 शहर स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर एक रेंडम और एक सेंटीनल साइट का चयन किया गया है। एक साइट से 50 ब्लड स्लाइड और एक पीएचसी-सीएचसी से 600 ब्लड स्लाइड तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होने बताया कि फाइलेरिया के माइक्रोफाइलेरी अपने नेचर के मुताबिक रात्रि के समय रक्त में सक्रिय हो जाते हैं, इसी के आधार पर लक्षण को आसानी से पहचाना जा सकता है। इसलिए रात में ही ब्लड सैंपल लिया जाता है और उसकी स्लाइड बनाकर जाँच के लिये लैब में भेजा जाता है।
यहां होगा सर्वेक्षण – जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडे और बायोलोजिस्ट एवं फाइलेरिया नियंत्रण इकाई के प्रभारी डॉ अमित सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में अराजीलाइन के बेनीपुर व कर्नाडाड़ी, बड़ागांव के खररिया खास व फ़तेहपुर, चिरईगांव के संदहा व बेरियासनपुर, चोलापुर के जगदीशपुर व धरसुना, हरहुआ के धनेश्री व प्रतापपट्टी, काशी विद्यापीठ के केशरीपुर व हरपालपुर, पिंडरा के फुलपूर व बाबतपुर, सेवापुरी के सत्तनपुर व रामेश्वर साइट चिन्हित की गई है। वहीं शहरी क्षेत्र में सुंदरपुर, नेवादा वार्ड न0 13, नगवा लंका, गोयनका अस्सी, विर्दोपुर, लक्सा, कमलगढ़, बसनीय, बेनिया, चोटिपियरी, पाण्डेयपुर हवेली, विनायका, सोनकर बस्ती, हुकुलगंज, चेतगंज मलदहिया, ईश्वरगंगी, धोबीघाट, कोनियासट्टी, जगमबाड़ी, बंगालीटोला, बजरडीहा, रानीपुर, सलेमपुरा, मच्छर हट्टा, नई बस्ती, मीरघाट, नारायणपुर, तरना, इंदरपुर, कादीपुर, रूपमपुर अखता राजभर बस्ती एवं पंचकोशी अकथ श्रीनगर कॉलोनी चिन्हित की गई हैं।
क्या है फाइलेरिया – यह बीमारी हाथीपांव नाम से भी प्रचलित है। लिंफेटिक फाइलेरियासिस को आम बोलचाल में फाइलेरिया या हाथीपांव कहते हैं। यह रोग मच्छर के काटने से ही फैलता है। समय से दवा लेकर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।
लक्षण – फाइलेरिया के सामान्यतः कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसिल (अंडकोषों का सूजन), महिलाओं के स्तन में सूजन के रूप में भी यह समस्या सामने आती है। इस बीमारी से बचने के लिये सभी को अपने चारों तरफ साफ-सफाई रखने के साथ मच्छरदानी, मास्किटो क्रीम आदि मच्छरों से बचाव के उपाय करने चाहिये।
उपचार व सहयोग – जांच में पाजिटिव आने के बाद मरीजों का चिकित्सा का खर्च स्वास्थ्य विभाग वहन करता है। चिन्हित मरीजों को दवा खिलाई जाती है और हाइड्रोसील के मरीजों का निःशुल्क इलाज किया जाता है। इलाज की निःशुल्क सुविधा जनपद के समस्त ग्रामीण स्तरीय पीएचसी एवं फाइलेरिया नियंत्रण इकाई रामनगर में मौजूद है। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत साल में एक बार अभियान चलाकर लक्षित समस्त आबादी को निःशुल्क दवा खिलाई जाती है।