वाराणसी
पौराणिक सिद्धेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार

वाराणसी। काशी के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार और पूजन का कार्य जल्द ही शुरू होगा। मदनपुरा के गोल चबूतरा क्षेत्र में स्थित इस मंदिर के संबंध में सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट ने शनिवार को आयोजित एक अति आवश्यक बैठक में यह निर्णय लिया। बैठक में मंदिर का ताला खोलने, उसके पुनरुद्धार और नियमित पूजा-अर्चना कराने के लिए प्रशासन से अनुमति मांगी जाएगी।
गौरतलब है कि यह मंदिर वर्षों से बंद पड़ा था, लेकिन हाल ही में काशी के सनातनधर्मियों को इसके बारे में जानकारी मिली। तभी से लोग मंदिर को पुनर्जीवित करने की मांग कर रहे हैं। काशीखंड के शास्त्रों में इस मंदिर का उल्लेख है, जिसमें इसे सिद्धि प्रदान करने वाला स्थान बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, सिद्धेश्वर महादेव की पंचोपचार पूजा करने से भक्तों को स्वप्न में सिद्धि प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।
बैठक में वक्ताओं ने बताया कि काशी के हरिकेश वन में स्थित इस मंदिर का निर्माण राजा मदनपाल द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर और इसके पास का सिद्धकूप, जिसे आज गोल चबूतरा कहा जाता है, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकारी अभिलेखों और प्रमाणों के आधार पर यह स्पष्ट हुआ है कि यह मंदिर किसी वर्ग विशेष के स्वामित्व में नहीं है, बल्कि यह हिंदू समाज की सार्वजनिक संपत्ति है।
सेंटर और ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रशासन मंदिर का ताला खोलने और नियमित पूजन की अनुमति प्रदान करे। जल्द ही इस संबंध में जिला प्रशासन से मुलाकात की जाएगी ताकि मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया जा सके। बैठक में काशी विशालाक्षी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी की अध्यक्षता में सेंटर के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी गणेश जी, सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा, सेंटर के प्रबंधक रामकृष्ण पांडेय, केशव प्रसाद सेठ, शंकर बोस, रवि प्रकाश राय, अवनीश दूबे, मुकुंद लाल अग्रवाल समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर को फिर से जीवंत करने की यह पहल काशी की सनातनधर्मी जनता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मंदिर न केवल काशी की धार्मिक गरिमा को बढ़ाएगा बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था का भी केंद्र बनेगा।