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पोप फ्रांसिस का निधन, ईस्टर के एक दिन बाद ली अंतिम सांस

वेटिकन सिटी। कैथोलिक चर्च के प्रमुख और दुनिया के सबसे प्रभावशाली धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह वेटिकन में निधन हो गया। 88 वर्षीय पोप ने सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। फरवरी में उन्हें निमोनिया और एनीमिया के चलते रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फेफड़ों में गंभीर संक्रमण और किडनी फेलियर की स्थिति के चलते उन्हें 5 हफ्ते तक अस्पताल में रखा गया। हालांकि मार्च में उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था।
पोप फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी और बीते 1000 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस में हुआ था। पोप बनने से पहले वे जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के नाम से जाने जाते थे। वे 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। चर्च में उन्होंने कई ऐतिहासिक और क्रांतिकारी फैसले लिए।
पोप ने समलैंगिक व्यक्तियों को चर्च में स्थान देने की बात कही थी। तलाकशुदा कैथोलिकों को दोबारा विवाह की धार्मिक मान्यता देने का साहसिक निर्णय भी उनके कार्यकाल में हुआ। अप्रैल 2014 में उन्होंने चर्च में बच्चों के यौन शोषण को स्वीकारते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी, जो अब तक किसी पोप ने नहीं किया था।
निधन से कुछ दिन पहले ही उन्होंने ईस्टर के मौके पर अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस से मुलाकात की और उन्हें तोहफे दिए। वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर में बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हो रहे हैं।
यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने कहा, “पोप फ्रांसिस की विनम्रता और करुणा ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया। आज हम एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक को खो बैठे हैं।”