वाराणसी
पति समेत चार दोषमुक्त, फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म और दहेज प्रताड़ना के मामले में सुनाया फैसला

वाराणसी। जिला एवं सत्र न्यायालय के फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) ने गुरुवार को दुष्कर्म और दहेज प्रताड़ना के छह साल पुराने मामले में अहम फैसला सुनाया। अदालत ने पति समेत चार आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
अभियोजन पक्ष का मामला:
पीड़िता ने भेलूपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि 28 फरवरी 2019 को उसकी शादी अंकित सोनकर उर्फ रवि से हुई थी। शादी के बाद ससुराल पहुंचने पर पति अंकित सोनकर, ससुर मदनलाल सोनकर, सास मंजू सोनकर और देवर अमन सोनकर ने दहेज में ₹10 लाख की मांग की। जब पीड़िता ने विरोध किया, तो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसका पति उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन संबंध बनाता था। विरोध करने पर ससुरालवाले उसकी पिटाई करते। इसके बाद मायके वालों ने उसकी विदाई करवाकर उसे अपने घर ले आए। कुछ समय बाद ससुराल पक्ष ने दहेज की मांग दोहराई और विदाई कराने से इनकार कर दिया।
थकहार कर, पीड़िता ने भेलूपुर थाने में दुष्कर्म, दहेज प्रताड़ना, मारपीट और जानलेवा हमले के तहत मामला दर्ज कराया।
फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) के न्यायाधीश कुलदीप सिंह ने मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के तीन गवाहों के बयान दर्ज किए। लेकिन पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके।
अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए पति अंकित सोनकर, ससुर मदनलाल सोनकर, सास मंजू सोनकर और देवर अमन सोनकर को दोषमुक्त कर दिया। इस मामले के एक अन्य आरोपी अगुआ राधे सोनकर की मौत हो जाने के कारण उनके खिलाफ सुनवाई पहले ही समाप्त कर दी गई थी।
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव और चंद्रबली पटेल ने अदालत में साक्ष्यों की कमी और गवाहों की गहन जिरह के माध्यम से यह साबित किया कि आरोपितों पर लगे आरोप फर्जी और आधारहीन थे।
लगातार सुनवाई के बाद, छह साल पुराने इस मामले में अदालत ने साक्ष्य के अभाव और अभियोजन पक्ष द्वारा आरोप साबित न कर पाने के कारण सभी आरोपितों को बरी कर दिया।