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वाराणसी

पंचवर्षीय “मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना” का संचालन मत्स्य विभाग द्वारा किया जा रहा है

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योजना से प्रदेश में स्थानीय पट्टा धारक मत्स्य पालकों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान हेतु प्रदेश सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना में छुट गये ग्राम सभा के तालाबों के पट्टाधारकों, मनरेगा कनवर्जेन्स अथवा अन्य विभाग के माध्यम से सुधारे गये तालाबों व अन्य पट्टे के तालाबों के लिए है

   वाराणसी। मत्स्य विभाग मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्वेता सिंह ने बताया कि पूर्व में संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के साथ-साथ "मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना" का संचालन मत्स्य विभाग द्वारा प्रारम्भ किया जा रहा है। जो पाँच वर्षो (वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक) के लिए संचालित की जायेगी। 
 यह योजना मुख्यतः प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना में छुट गये ग्राम सभा के तालाबों के पट्टाधारकों, मनरेगा कनवर्जेन्स अथवा अन्य विभाग के माध्यम से सुधारे गये तालाबों व अन्य पट्टे के तालाबों के लिए है। जिनके तालाब के पट्टे की अवधि न्यूनतम 04 वर्ष शेष है। मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना में मुख्यतः प्रथम वर्ष निवेश पर अनुदान व मत्स्य बीज बैंक की स्थापना दो उपयोजनायें है। इन दोनों ही उपयोजनाओं के इकाई लागत धनराशि रू0 4 लाख/हे0 पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा व अवशेष 60 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं लगाना होगा। इस योजना से प्रदेश में स्थानीय पट्टा धारक मत्स्य पालकों के आर्थिक व सामाजिक उत्थान हेतु प्रदेश सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी, मछुआरों व मत्स्य पालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार आयेगा। स्वरोजगार के अवसर भी सृजित होगें।

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