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वाराणसी

नीलगिरी इंफ्रासिटी घोटाला: जेल में सीएमडी, बाहर निवेशकों पर सौदेबाजी का दबाव

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वाराणसी। नीलगिरी इंफ्रासिटी फ्रॉड एक बार फिर सुर्खियों में है। चर्चित रियल एस्टेट कंपनी के सीएमडी विकास सिंह, एमडी रीतू सिंह और प्रबंधक प्रदीप यादव को पुलिस ने दोबारा जेल भेज दिया है। लेकिन अब नया खेल जेल के बाहर शुरू हो गया है। कंपनी के करीबी लोग पीड़ित निवेशकों पर न्यूनतम राशि पर केस खत्म करने का दबाव बना रहे हैं।

विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, बीते दो दिनों में अशोक विहार कॉलोनी, छावनी, गाजीपुर, चंदौली और पूर्व सैनिक परिवारों के कई निवेशकों को फोन कर समझौते के लिए मनाने की कोशिश की गई है। कॉल करने वाले कह रहे हैं, “अब मामला खत्म करो, ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा।”

कंपनी के खिलाफ वाराणसी के चेतगंज थाने में 113 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें धोखाधड़ी, जालसाजी और अनुबंध उल्लंघन जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। गिरफ्तारी गैर-जमानती वारंट के आधार पर की गई है। तीसरा आरोपी प्रदीप यादव लक्सा थाना क्षेत्र के जद्दूमंडी मोहल्ले का निवासी है और कंपनी में मैनेजर के तौर पर कार्यरत था।

नीलगिरी इंफ्रासिटी ने मलदहिया स्थित इंडियन प्रेस कॉलोनी में कार्यालय खोलकर सस्ते प्लॉट, विदेश यात्रा और कार देने का झांसा देकर पूर्वांचल समेत झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सैकड़ों निवेशकों को ठगा। शुरुआत में कुछ निवेशकों को पैसा लौटाकर भरोसा कायम किया गया, लेकिन बाद में पैसे डूबते चले गए।

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2021 में भी तीनों आरोपी गिरफ्तार हो चुके थे और सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी। कोर्ट की शर्त थी कि वे निवेशकों का पैसा लौटाएंगे, लेकिन उसके बाद नए पीड़ित सामने आये और फिर से मुकदमा दर्ज हो गया।

अब दोबारा गिरफ्तारी के बाद निवेशकों को अपने पैसे की वापसी की उम्मीद जगी है, जबकि दूसरी ओर बाहर उनके साथ सस्ती डील कर केस खत्म करने का मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनाया जा रहा है।

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