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वाराणसी

नगर निगम ने अस्पताल-होटल और कोचिंग के लाइसेंस शुल्क में की वृद्धि

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शराब की दुकानों के लाइसेंस शुल्क में कोई बदलाव नहीं, अन्य व्यवसायियों पर बढ़ा बोझ

वाराणसी। वाराणसी नगर निगम ने हाल ही में अस्पताल, कोचिंग सेंटर, होटल, गेस्ट हाउस, नर्सिंग होम और गाड़ियों के सर्विस सेंटर के लाइसेंस शुल्क में दोगुना से अधिक वृद्धि की है। जबकि शराब की दुकानों के लाइसेंस शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नगर निगम द्वारा नई दरें पार्षदों के विरोध के बावजूद लागू कर दी गई हैं, जिससे व्यापारियों और आम जनता में असंतोष देखा जा रहा है।

कारोबारियों पर अतिरिक्त बोझ
नए नियमों के अनुसार कारोबार करने वालों को न केवल लाइसेंस शुल्क, बल्कि अतिरिक्त टैक्स भी देना होगा। इस वृद्धि का असर सीधे आम जनता पर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, पहले कोचिंग संस्थानों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, लेकिन अब उन्हें शुल्क देना अनिवार्य होगा। बार के लाइसेंस शुल्क में मात्र एक हजार रुपये की मामूली बढ़ोतरी की गई है।

लाइसेंस शुल्क की नई दरें
अस्पताल, छोटे गेस्ट हाउस, नर्सिंग होम और गाड़ियों के सर्विस सेंटर के लाइसेंस शुल्क को 50 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। नगर निगम अधिनियम के तहत लाइसेंस शुल्क में 22 से 32 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रावधान है, लेकिन नगर निगम की ओर से यह दरें मनमानी रूप से निर्धारित की गई हैं।

नवीनीकरण और विलंब शुल्क
लाइसेंस की अवधि समाप्त होने से पहले नवीनीकरण कराना अनिवार्य होगा। यदि नवीनीकरण समय पर नहीं कराया गया तो 50 प्रतिशत विलंब शुल्क लागू होगा। नगर निगम क्षेत्र में लाइसेंस के लिए 24 उपविधियों को सदन में पारित किया गया है। ये उपविधियां उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 543 के तहत लागू की गई हैं।

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सियासी और कानूनी प्रतिक्रियाएं
सपा पार्षद दल के नेता हारून अंसारी ने सदन में इस बढ़ोतरी के खिलाफ आवाज उठाई थी। सपा के पूर्व पार्षद शंकर विशनानी ने बताया कि नियमों के अनुसार हर दो साल में लाइसेंस शुल्क में 22 प्रतिशत से कम और 32 प्रतिशत से अधिक वृद्धि नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बढ़े हुए शुल्क का गजट प्रकाशन और शासन से स्वीकृति के बाद ही लागू किया जाना चाहिए।

वाराणसी नगर निगम की यह कार्रवाई व्यापारियों और आम नागरिकों के लिए नए आर्थिक दबाव का संकेत है और आने वाले समय में इस पर व्यापक चर्चा हो सकती है।

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