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धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के मामले में वाराणसी के पूर्व बीएसए को राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी के आरोपों में फंसे वाराणसी के पूर्व बीएसए को बड़ी राहत प्रदान की है। न्यायालय ने अधिकारी की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को अगले तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने वाराणसी के बेसिक शिक्षा अधिकारी रहे राकेश सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदान की है। अधिकारी के खिलाफ विजिलेंस ने 25 जुलाई को धोखाधड़ी , जालसाजी और भ्रष्टाचार की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की थी । प्रथम सूचना रिपोर्ट में आरोप है कि उन्होंने बलिया में तैनाती के दौरान एक बर्खास्त शिक्षक सुरेंद्र नाथ यादव को अवैध तरीके से बहाल कर बर्खास्तगी अवधि का वेतन भी दिलवाया है। जिसके बाद उन्होंने संबंधित पत्रावली को गायब भी कर दिया था।
प्राथमिकी को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका में राकेश सिंह ने गिरफ्तारी से राहत देने की गुहार लगाई थी। याची के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि 2013 में प्रश्नगत शिक्षक की प्रशिक्षण डिग्री फर्जी मिलने पर नियुक्ति रद्द कर दी गई थी। जिसके बाद निदेशालय के निर्देश पर डिग्री का सत्यापन दूसरी बार कराया गया था।
जांच में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने डिग्री को वैध बताया था । जिसके कारण ही याची ने 2016 में शिक्षक को बहाल किया था। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि शिक्षक अभी भी निर्बाध रूप से विभाग में कार्यरत हैं । जबकि याची के खिलाफ अकारण ही रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। अदालत ने याची के अधिवक्ता के तर्कों को सही पाते हुए अधिकारी को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होने तक गिरफ्तारी से राहत दी है।