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वाराणसी

ज्ञानवापी मूलवाद में पक्षकार बनाये जाने पर फैसला आज

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33 साल पुराने केस में व्यास परिवार के दावे पर कोर्ट का निर्णय सुरक्षित

वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी प्रकरण में 33 वर्षों से लंबित स्वयंभू लार्ड आदिविश्वेश्वर के केस में आज कोर्ट फैसला सुनाएगी। यह केस वर्ष 1991 से लंबित है, जिसमें दिवंगत सोमनाथ व्यास के भतीजे योगेंद्र नाथ व्यास ने पक्षकार बनाए जाने के लिए याचिका दायर की थी।

ज्ञानवापी परिसर से जुड़े इस प्रकरण में व्यास परिवार के अधिकारों पर कोर्ट ने पिछले दिनों सुनवाई पूरी की। इस दौरान वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने योगेंद्र नाथ व्यास के पक्षकार बनने की अर्जी का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि व्यास गद्दी का यह मामला व्यक्तिगत दावे से जुड़ा हुआ है और व्यास परिवार का पक्षकार बनने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं बनता।

वादमित्र की आपत्ति:
विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में कहा कि योगेंद्र नाथ व्यास की अर्जी में न तो हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व है और न ही काशी विश्वनाथ मंदिर के हितों का उल्लेख। यह मामला व्यास गद्दी के स्थानांतरण से जुड़ा हुआ है, जो सरकार और विश्वनाथ मंदिर न्यास के बीच का विवाद है।

व्यास परिवार का दावा:
योगेंद्र नाथ व्यास ने अपने तर्क में कहा कि उनका परिवार महर्षि व्यास के वंशज हैं। उनके पूर्वज ज्ञानवापी में पूजा-अर्चना करते आए हैं, और यह अधिकार उनके परिवार का सदियों पुराना है। उनका दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-पद्धति का उन्हें पूरा ज्ञान है।

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हरिहर पांडे के बेटों की याचिका पहले ही खारिज:
इससे पहले हरिहर पांडे के परिजनों ने भी पक्षकार बनने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह मामला उत्तराधिकार का नहीं है।

आज सिविल जज सीनियर डिवीजन युगल शंभु (फास्ट ट्रैक कोर्ट) योगेंद्र नाथ व्यास की याचिका पर फैसला सुनाएंगे। 33 वर्षों से चल रहे इस विवाद में पक्षकार बनाए जाने की याचिकाओं ने केस के निपटारे में देरी का कारण बढ़ा दिया है। कोर्ट का यह फैसला ज्ञानवापी केस के भविष्य को तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।

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