वाराणसी
जौ की घास खाएं, शराब-सिगरेट की लत छुड़ाएं: खून बढ़ाए, बुढ़ापे में भी हड्डियों को फौलादी बनाए रखे, पेचिश में दे राहत
दुनिया में हजारों साल से जौ की खेती हो रही है। प्राचीन इजिप्ट से लेकर चीन तक में जौ का इस्तेमाल खाने, दवाएं और शराब बनाने में होता रहा है। वेदों में जौ को ‘यव’ कहा गया है। यह देवताओं को भी पसंद है। इसीलिए यज्ञ की आहुति सामग्री बिना जौ के पूरी नहीं होती। हवन हो या फिर होलिका, दोनों में जौ का बहुत महत्व है। जौ की बालियों को होलिका की लपटों की आंच दिखाने के बाद ही रंग खेलने की शुरुआत होती है। शादी जैसे शुभ काम हों या फिर मृत्यु के बाद निभाई जाने वाली रस्में, जौ का हर जगह इस्तेमाल होता है। नवरात्र में कलश की स्थापना के साथ ही जौ बोने की परंपरा है। नौ दिन की पूजा के दौरान कलश में अंकुरित जौ माता की साख, जवारे, ज्वारे कहते हैं। हरे रंग के ये जवारे सुख-समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं। अंग्रेजी में यही बार्ली ग्रास यानी जौ की घास कहलाती है। लेकिन, यह कोई मामूली घास नहीं है। इसकी पत्तियां एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिंस और मिनरल्स से भरपूर होती हैं। जिनकी वजह से जौ की इन ताजा पत्तियों को सुपरफूड कहा जाता है। इन्हें सलाद के तौर पर खा सकते हैं, जूस और सूप बनाकर पी सकते हैं। घर में उगाएं जौ, बीमारियां रहेंगी दूर इंदौर में न्यूट्रीशनिस्ट निधि अग्रवाल बताती हैं कि जौ की ताजी पत्तियां इम्यून सिस्टम मजबूत बनाती हैं और बीमारियों को पास नहीं फटकने देतीं। इनके सेवन से कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर और वजन कंट्रोल में रहता है। इन पत्तियों का पाउडर भी इस्तेमाल कर सकते हैं और इसका कैप्सूल भी आता है। जौ को आप आसानी से अपने घर में उगा सकते हैं और किचन में उसकी पत्तियों से ताजा जूस भी निकाल सकते हैं। यह जूस हेल्दी एनर्जी ड्रिंक से कम नहीं होता और नियमित तौर पर इसे पीने से खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं। यह जूस आसानी से पच जाता है और शरीर को ताकत देता है। प्रतिरोधक क्षमता से मजबूत होने से बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया को शरीर मार गिराता है। इंफेक्शन नहीं फैलने देता और गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। थम जाए बढ़ती उम्र, बुढ़ापे में जवानों की तरह मजबूत हडि्डयां इन पत्तियों के सेवन से बढ़ती उम्र का असर भी थम जाता है। इन पत्तियों में मौजूद विटामिन बी, आयरन, क्लोरोफिल और फाइकोसायनिन जैसे पोषक तत्व नई कोशिकाओं के निर्माण में तेजी लाते हैं, बोनमैरो और रेड व वाइट ब्लड सेल्स के निर्माण में मदद करते हैं। इससे शरीर का कायाकल्प हो जाता है। त्वचा पर उम्र का असर नहीं दिखता, ब्लड की क्वॉलिटी सुधरती है और पाचन क्षमता भी अच्छी हो जाती है। जौ की घास से तैयार जूस हड्डियों को मजबूत बनाता है। जिससे बुढ़ापे में भी हड्डियां हेल्दी रहती हैं। जौ की पत्तियों में मौजूद प्रीबायोटिक फाइबर आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं, जिससे पाचन तंत्र सुधरता है। कब्ज और अपच से राहत मिलती है। एसिडिटी और जलन समेत पेट की बीमारियों से बचाने में भी यह बहुत कारगर है। अल्सरेटिव कोलाइटिस की वजह से आंतों में हुई सूजन और दूसरी परेशानियों में भी आराम मिलता है। शरीर से जहरीले तत्व निकाले, बुरी लत से बचाए बॉडी में एसिड का बैलेंस बिगड़ने से नींद न आने, थकान, कब्ज के साथ ही नाखूनों के टूटने और कार्डिएक पेन होने जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। जौ की पत्तियां शरीर में यह संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं। बॉडी को नुकसान पहुंचाने वाले जहरीले तत्वों को बाहर निकालने और लिवर की सफाई में भी यह घास बहुत मददगार है। इसके साथ ही यह स्मोकिंग और प्रदूषण की वजह से होने वाले नुकसान से बचाने में भी अहम भूमिका निभाती है। इतना ही नहीं, बार्ली ग्रास के गुण शराब, सिगरेट, ड्रग्स से लेकर चाय-कॉफी और मिठाई तक की लत से छुटकारा दिला सकते हैं। यह एल्कोहल, निकोटिन, कैफीन की तलब को कंट्रोल करने में मददगार है। कैंसर को रोके, बांझपन-गर्भपात का खतरा करे दूर जौ की घास में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स दिल को हेल्दी रखते हैं। इसमें कई तरह के एंजाइम भी पाए जाते हैं, जो कैंसर कोशिशकाओं को बढ़ने से रोकते हैं। सूरज की किरणों से होने वाले अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन भी कैंसर की वजह बन सकता है। लेकिन, जौ की घास से बना जूस इस रेडिएशन से भी शरीर की रक्षा करता है। रेडिएशन से डीएनए को होने वाले नुकसान की वजह से आनुवांशिक बीमारियों, बांझपन, मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है, समय से पहले बुढ़ापा हावी होने लगता है। बार्ली ग्रास डैमेज डीएनए की मरम्मत में भी मददगार है। जिससे कई घातक बीमारियों का खतरा टल जाता है। नींद नहीं आती या माइग्रेन से परेशान हैं तो जौ की घास से बना पाउडर आपको राहत दिला सकता है। ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद फाइबर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखकर डायबिटीज से बचा सकता है।