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वाराणसी

जीपीएस लगे वाहनों से नहीं हुई डिलीवरी तो रुकेगी सैलरी

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खाद्यान्न वितरण में लापरवाही पर आरएफसी की सख्त चेतावनी

वाराणसी। खाद्यान्न वितरण व्यवस्था की समीक्षा बैठक में एक बड़ी चूक सामने आयी है। वाराणसी मंडल के चार जिलों- वाराणसी, जौनपुर, चंदौली और गाजीपुर में खाद्यान्न वितरण के लिए इस्तेमाल की जा रही गाड़ियों में से अधिकांश में जीपीएस ट्रैकर नहीं लगाए गए हैं। इस मुद्दे पर सम्भागीय खाद्य नियंत्रक (आरएफसी) पुलकित गर्ग ने सख्त चेतावनी जारी की है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों से कहा है कि यदि एक माह के भीतर सुधार नहीं हुआ, तो दोषी अधिकारियों की वेतन निकासी पर रोक लगा दी जाएगी।

गुरुवार को आयोजित समीक्षा बैठक में पुलकित गर्ग ने मंडल के जिला विपणन अधिकारियों, जिला पूर्ति अधिकारियों और अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ इस समस्या पर चर्चा की। बैठक में पाया गया कि जियोफेंसिंग आधारित खाद्यान्न वितरण व्यवस्था की रिपोर्ट खराब है। इस पर आरएफसी ने कहा कि सभी वाहन जीपीएस ट्रैकर से युक्त होने चाहिए ताकि खाद्यान्न की ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो सके।

राशन दुकानों पर 30 मिनट की अनिवार्य उपस्थिति

आरएफसी ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जीपीएस से लैस वाहन उचित दर की राशन दुकानों पर कम से कम 30 मिनट तक रुकें। इससे गाड़ियों की लाइव लोकेशन और खाद्यान्न आपूर्ति की निगरानी सुनिश्चित हो सकेगी। इसके अलावा, खाद्यान्न आपूर्ति के ठेकेदारों को निर्देशित किया गया है कि वे डिलीवरी से एक दिन पहले उचित दर विक्रेताओं को सूचना दें और जियोफेंसिंग क्षेत्र के दायरे में खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करें।

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लापरवाही पर होगी कार्रवाई

खाद्यान्न वितरण में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों के खिलाफ अर्थदंड की कार्यवाही की जाएगी। जिला विपणन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि खाद्यान्न डिलीवरी के समय जीपीएस की निगरानी करते हुए रिकॉर्ड तैयार करें। आरएफसी ने चेतावनी दी कि खाद्यान्न वितरण की राज्य सरकार द्वारा तय प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर गड़बड़ी या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने और गड़बड़ियों को रोकने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। जीपीएस ट्रैकर से युक्त वाहनों की अनिवार्यता और जियोफेंसिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

आरएफसी की इस चेतावनी के बाद मंडल के अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच खलबली मच गई है। अब यह देखना होगा कि निर्धारित समय सीमा के भीतर इस व्यवस्था में कितना सुधार होता है।

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