वाराणसी
चैत्र नवरात्रि 2022 कलश स्थापना मुहूर्त, जानें कैसे करें पूजा

वाराणसी| चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 02 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हो रहा है. चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक है 02 अप्रैल को घटस्थापना या कलश स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही नवदुर्गा की पूजा प्रारंभ होगी, जो पूरे 09 दिनों तक होगी, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना कैसे करते हैं, घटस्थापना पूजन सामग्री क्या है? इन सबके बारे में जानना जरूरी है. यदि किन्हीं कारणों से पंडित जी उपलब्ध नहीं हैं, तो आप स्वयं कलश स्थापना सामान्य तरीके से कर सकते हैं. आइए जानते हैं कलश स्थापना मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि 2022 कलश स्थापना मुहूर्त
01 अप्रैल, दिन गुरुवार, समय: 11:53 एएम, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 02 अप्रैल, दिन शुक्रवार, समय: 11:58 एएम, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापनघटस्थापना का शुभ मुहूर्तः सुबह 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तककलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक
घटस्थापना पूजन सामग्री
मां दुर्गा की नई मूर्ति या तस्वीर, लाल रंग की चौकी, पीला वस्त्र, एक आसन, नई लाल रंग की चुनरी, मिट्टी का एक कलश, आम की 5 हरी पत्तियां, मिट्टी के बर्तन, लाल सिंदूर, गुड़हल का फूल, फूलों की माला, श्रृंगार सामग्री, एक नई साडी, अक्षत, गंगाजल, शहद, कलावा, चंदन, रोली, जटावाला नारियल, सूखा नारियल, अगरबती, दीपक, बती के लिए रुई, कैंसर, नैवेदय, पंचमेवा, गुग्गल, लोबान, जौ, गाय का घी, धूप, अगरबती पान का पत्ता, सुपारी, लॉग, इलायची, कपूर, फल, मिठाई, उप्पलें, एक हवन कुंड, आम की सूखी लकड़ियां, माचिस, लाल रंग का ध्वज, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा आरती की किताब आदि,
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना विधि
- पूजा घर में पूर्व या उत्तर दिशा में घटस्थापना के लिए स्थान चुनें, वहां साफ सफाई करें. 2. उस स्थान को गंगाजल से पवित्र कर ले. 3. उस जगह पर साफ मिट्टी बिछा दें, फिर जाँ छिड़के, उस पर मिट्टी की एक परत डाल दें. 4. अब वहां पर पानी छिड़क दें. अब इसके ऊपर कलश स्थापना करें. 5. कलश में गंगाजल, यमुना, कावेरी आदि पवित्र नदियों का जल भर दें. उसमें एक सिक्का डालें. 6. इस दौरान वरुण देव का मन में ध्यान करें.7. अब कलश के मुख पर रक्षा सूत्र पर कलावा बांध दें. फिर उसके मुख को मिट्टी के एक कटोरी से ढंक दें. 8. उस कटोरी को जौ से भर दें. अब एक सूखे नारियल में कलावा लपेट दें.9. फिर उसे कलश के ऊपर रखी जाँ वाली कटोरी में स्थापित कर दें. 10. कलश को गणपति का स्वरूप मानते हैं. इस वजह से सबसे पहले श्रीगणेश यानी कलश का पूजन करते हैं.
नवरात्रि का दिन 12 अप्रैल- घटस्थापना, शैलपुत्री पूजा
नवरात्रि का दिन 2-3 अप्रैल ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि का दिन 3-4 अप्रैल चन्द्रघन्टा पूजा
नवरात्रि का दिन 4-5 अप्रैल कुष्माण्डा पूजा
नवरात्रि का दिन 5-6 अप्रैल स्कन्दमाता पूजा
नवरात्रि का दिन 6-7 अप्रैल कात्यायनी पूजा
नवरात्रि का दिन 7-8 अप्रैल कालरात्रि पूजा
नवरात्रि का दिन 8-9 अप्रैल- दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा
नवरात्रि का दिन 9 10 अप्रैल- राम नवमी पूजा
नवरात्रि का दिन 10- 11 अप्रैल- नवरात्रि व्रत पारण
आप सभी अपने घर में अपने पारंपरिक पूजा का निर्वहन करें ज्योतिषाचार्य राहुल उपाध्याय
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