मऊ
घोसी में आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पर सेमिनार
मऊ। घोसी नगर के करीमुद्दीनपुर स्थित एक पैलेस में बुधवार की देर रात नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) घोसी इकाई द्वारा आयोजित एक सेमिनार संपन्न हुआ। इस सेमिनार की अध्यक्षता मुहम्मद अहमद आजमी ने की, जिसमें आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के बारे में चर्चा की गई।
इस मौके पर नीमा के सदस्यों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि, जिला आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी डॉ. एसके साहू ने सभी चिकित्सकों को अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी से निभाने के लिए प्रेरित किया।
डॉ. एसके साहू ने सेमिनार में उपस्थित चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद और यूनानी पद्धतियों में असाध्य रोगों का इलाज संभव है।
इन पद्धतियों का उपयोग मानव जीवन की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा ने जीवन सुरक्षा में अहम योगदान दिया।
यदि इन पद्धतियों की दवाएं नहीं होतीं, तो कोरोना के कारण अधिक जानें चली जातीं। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ इन पारंपरिक पद्धतियों का समन्वय स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक व्यापक और किफायती बना सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देना जरूरी है, क्योंकि ये प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और समग्र उपचार विधियों पर आधारित हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ संभव है।
सेमिनार के दौरान डॉ. मलीह असगर आज़मी, डॉ. सोहैल अनवर आजमी, डॉ. इर्शादुल्लाह अंसारी, डॉ. इंद्रासन यादव, और डॉ. अब्दुस समद ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती, निवारक चिकित्सा, जागरूकता अभियानों और उन्नत उपचार तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर डॉ. अब्दुस समद, डॉ. खुर्शीद आलम, डॉ. इंद्रासन यादव, डॉ. इफ्तेखार अहमद, डॉ. नजमुद्दीन कादरी, डॉ. एस. के. चौरसिया, डॉ. वी. के. चौरसिया, डॉ. कबीरुद्दीन, डॉ. परवेज अहमद, डॉ. जावेद, और डॉ. कलीम अहसन भी उपस्थित रहे।