बलिया
गाज़ीपुर के रामलीला मैदान में पत्रकारों की गरिमामय बैठक, सुरक्षा और संगठन विस्तार पर हुआ मंथन

बलिया/गाज़ीपुर। ऐतिहासिक रामलीला मैदान स्थित लंका मैरेज हॉल में राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत की मासिक बैठक भव्य आयोजन के साथ सम्पन्न हुई। प्रदेश भर से सैकड़ों पत्रकारों की उपस्थिति ने इस बैठक को विशेष बना दिया। कार्यक्रम में पत्रकारों की सुरक्षा, सामाजिक दायित्व, संगठन को मजबूती देने और भविष्य की दिशा पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया।
बलिया से एक सशक्त प्रतिनिधिमंडल इस बैठक में शामिल हुआ, जिसका नेतृत्व जिलाध्यक्ष दुर्गा शंकर सिंह ने किया। उनके साथ मंडल अध्यक्ष हरिनारायण सिंह, वरिष्ठ पदाधिकारी नित्यानंद सिंह, जिला प्रवक्ता गिरीश मिश्रा, प्रदेश उपाध्यक्ष अजय मिश्रा, विधिक सलाहकार जीतेन्द्र प्रताप सिंह समेत कई अन्य सक्रिय पदाधिकारी उपस्थित रहे।बैठक में पत्रकारों के हितों से जुड़े अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें उनकी सुरक्षा, मान्यता, स्वतंत्रता तथा सरकार के साथ संवाद की जरूरत पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा दौर में पत्रकारों को तकनीकी बदलावों के साथ-साथ राजनीतिक और सामाजिक दबावों का भी सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में एकजुटता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।इस गरिमामयी बैठक में राष्ट्रीय स्तर की भागीदारी ने विशेष प्रभाव डाला। राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश सिंह ने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं, और जब तक वे सुरक्षित व स्वतंत्र नहीं होंगे, तब तक सच समाज तक नहीं पहुँच सकेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि संगठन हर परिस्थिति में पत्रकारों के साथ खड़ा रहेगा।
महिला पत्रकारों की चुनौतियों पर बात करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्षा पूनम सिंह ने कहा कि उनके लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल तैयार करना आज की आवश्यकता है। संगठन इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रहा है।बैठक के अंत में यह निर्णय लिया गया कि संगठन का विस्तार प्रदेश के हर ब्लॉक और तहसील स्तर तक किया जाएगा।
साथ ही पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण के लिए एक विशेष सहायता प्रकोष्ठ की स्थापना भी जल्द की जाएगी।कार्यक्रम के समापन अवसर पर विभिन्न जनपदों से आए पत्रकारों को निष्पक्ष पत्रकारिता और सेवाभाव के लिए सम्मानित किया गया।
राष्ट्रगान के साथ बैठक का समापन हुआ। इस दौरान पत्रकार खुर्शीद आलम द्वारा प्रस्तुत गीत ने माहौल को भावविभोर कर दिया।यह बैठक पत्रकारों की एकजुटता, जागरूकता और संघर्षशीलता का प्रतीक बनकर समाप्त हुई।