चन्दौली
उफनती गंगा के रौद्र रूप से तटवर्ती इलाके के लोगों में खौफ

चहनियां (चंदौली)। उफनती गंगा अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है। शनिवार की रात्रि से अब तक दो फुट पानी में बढ़ोतरी हुई है। पानी बलुआ घाट पर सीढ़ियों पर चढ़ते हुए शवदाह गृह श्मशान घाट सहित चौतरफा अपने आगोश में ले लिया है। गंगा में जैसे-जैसे जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है वैसे-वैसे तटवर्ती गांवों के किसानों व ग्रामीणों में दहशत व बेचैनी बढ़ने के साथ ही गंगा कटान, पशुओं के चारे व भोजन को लेकर चिंता सताने लगी है।
तटवर्ती गांव भुपौली, डेरवा, महड़ौरा, कांवर, महुअरिया, पकड़ी, विशुपुर, महुआरी खास, सराय, बलुआ, डेरवा कला, महुअर कला, हरधन जुड़ा, विजयी के पूरा, गणेश के पूरा, सोनबरसा, टांडाकला, महमदपुर सरौली, जमालपुर, बड़गांवा, तीरगांवा, हसनपुर, नादी निधौरा, सैफपुर आदि गांवों के किसानों व ग्रामीणों में गंगा में तेजी से बढ़ते जलस्तर से किसानों की हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन अब तक गंगा में समाहित हो चुकी है।
गंगा किनारे रहने वाले तटवर्ती ग्रामीण व किसानों का कहना है कि हर वर्ष गंगा में बाढ़ आने से कुछ न कुछ जमीन गंगा नदी में समाहित हो जाती है। वहीं, बाढ़ का पानी खेतों में घुसकर बोई गई सैकड़ों एकड़ फसलें खराब होकर नष्ट हो जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। साथ ही बाढ़ आने से सड़क व गांवों का संपर्क टूट जाता है।
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर परिवार एवं पशुओं को लेकर बाग-बगीचे या स्कूलों में शरण लेना पड़ता है, जहां भोजन व पशुओं के चारे की विकट समस्या उत्पन्न हो जाती है। गंगा नदी तटवर्ती गांवों के रहने वाले लोग रातभर जागकर बिताने को मजबूर हो जाते हैं। साथ ही विषैले जानवरों का खतरा बराबर बना रहता है। फसलें नुकसान होने से किसानों की रोजी-रोटी पर भी संकट मंडराने लगता है।