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वाराणसी

World Hepatitis Day: बीमारी से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान, जानें कारण व बचाव

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
वाराणसी। विश्व हेपेटाइटिस दिवस हर साल 28 जुलाई को हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो लीवर में सूजन का कारण बनता है और गंभीर बीमारी और लीवर कैंसर का कारण बनता है। यह अनुवांशिक कारणों, वायरस, ऑटो इम्यून या विषैले तत्वों के कारण होता है।इस साल इस दिवस की थीम है ‘एक जीवन-एक लिवर’ (वन लाइफ-वन लिवर)। संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ ही भारत का भी लक्ष्य है कि 2030 तक हेपेटाइटिस से मुक्त हो।

हेपेटाइटिस के प्रकार और कारण

हेपेटाइटिस के वायरस पांच प्रकार के होते हैं- ए, बी, सी, डी और ई। इनमें हेपेटाइटिस बी और सी लाखों लोगों में पुरानी बीमारी की वजह से होते हैं, जो लीवर में जलन और संक्रमण के अलावा कई बार इस वायरस से लीवर फाइब्रोसिस या लीवर कैंसर तक होने की संभावना रहती है। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर पर दूषित भोजन या पानी के सेवन से होती है। कई बार हेपेटाइटिस वायरस का संक्रमण संक्रमित रक्त की शरीर में चढ़ने या संक्रमित शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में जाने से, जन्म के समय बच्चे को मां से भी होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस संक्रमण का टीकाकरण के द्वारा बचाव संभव है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक स्टडी के अनुसार निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में समय से पहले होने वाली 45 लाख मौतों को टीकाकरण, सही समय पर जांचें व दवाएं लेने से और जागरूकता अभियान के माध्यम से रोका जा सकता है।

दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है हेपेटाइटिस ए और ई

हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है जबकि हेपेटाइटिस बी और सी शरीर के संक्रमित द्रव्य जैसे संक्रमित खून, सीमन, योनि के स्राव, और लार से फैलता है। इसके साथ ही असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई के उपयोग से फैलता है।
हेपेटाइटिस ए और ई के संक्रमण को व्यापक साफ सफाई रखकर कर रोका जा सकता है। इसके साथ हेपेटाइटिस ए का टीका भी उपलब्ध है। वहीं हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण को सुरक्षित यौन संबंध, एक व्यक्ति के साथ ही शारीरिक संबंध बनाना, उचित बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण, पहले से उपयोग की गई सुइयों के प्रयोग से बचाव कर हम रोक सकते हैं।

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हेपेटाइटिस ए और बी के लिए वैक्सीन उपलब्ध

हेपेटाइटिस ए और बी वायरस को रोकने के लिए सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन उपलब्ध हैं जबकि हेपेटाइटिस सी वायरस को रोकने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है। हेपेटाइटिस बी के वैक्सीन डी को भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। हेपेटाइटिस ई संक्रमण को रोकने के लिए सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन विकसित किए गए हैं, लेकिन व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि इनमें कई वैक्सीन ऐसी हैं जिन्हें एडवांस में ही लगवाया जाता है। डायबिटिक, लेस्बियन, असुरक्षित यौन संबंध बनाने वालों, सेक्स वर्कर को दिया जा सकता है। हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने के बाद उससे बचाव के लिए हेपेटाइटिस बी के साथ हेपेटाइटिस सी इम्यूनोग्लोबिन के रूप में दिया जाता है।

बच्चे को स्तनपान करा सकती है हेपेटाइटिस बी से संक्रमित महिला

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स और अमेरिकन कॉलेज ऑफ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (2018) के अनुसार हेपेटाइटिस बी से संक्रमित महिला बच्चे को स्तनपान करा सकती है। संक्रमित महिला को बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। गर्भवती महिला को इस बीमारी से बचाव के लिए गर्भावस्था के समय जांच जरूर करानी चाहिए जिससे कि समय से इलाज हो सके।
नवजात में इसके संक्रमण को रोकने के लिए जन्म के 12 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाता है।

गर्भवती यदि हेपेटाइटिस से ग्रसित है तो बच्चेदानी की झिल्ली फट सकती है, जन्म से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है। इसके अलावा प्रसव के बाद रक्तस्राव, लिवर संबंधी दीर्घकालिक बीमारी, आंवल का अलग होना, भ्रूण की वृद्धि में रुकावट आ सकती है।

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हेपेटाइटिस के उन्मूलन के प्रयास में भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जिसने हेपेटाइटिस बी
और हेपेटाइटिस सी के प्रबंधन को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण में शामिल किया है और अपने लाभार्थियों को आजीवन नि:शुल्क इलाज और दवाएं मुहैया कराता है।

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