अपराध
पुराने संतों को मठ से निकालकर मनमानी कार्य करना चाहते हैं विवेक दास: प्रह्लाद दास
वाराणसी। कबीर मठ की संपत्ति को लेकर आये दिन विवाद होता रहता है। इसी क्रम में कुछ दिन पूर्व प्रह्लाद दास है और विवेक दास के बीच हाथापाई की ख़बरें आई थी। अब प्रह्लाद दास ने पत्र के माध्यम से अपनी बात कही है।
प्रह्लाद दास ने कहा कि मै 6 वर्ष से कबीर चौरा मठ में रहता हूं और विवेक दास को ही गुरू बनाया था। ये मठ के सभी लोग भी जानते हैं, विवेक दास मेरे उपर इलजाम लगा रहे हैं कि प्रह्लाद दास मठ में अभी कुछ महीनों से रह रहे हैं और मेरा सर फोड़ दिया और मेरे उत्तराधिकारी का भी हाथ तोड़ दिया है। मेरा उम्र 80 वर्ष हो चुका है। भला मैं कैसे महन्त को मार सकता हूं, यदि मारुंगा तो वहां के साधु लोग मुझे क्या छोड़ सकते हैं। विवेक दास मेरे साथ मठ के जो भी पुराने सन्त लोग हैं उन सभी को वे मठ से बाहर निकालना चाहते है, जिससे वे अपने मनमानी तरिके से कार्य कर सके।
बीते 26 अगस्त को विवेक दास एवं फर्जीवाड़ा करके उत्तराधिकारी बनाया गये प्रमोद दास ने मुझे खूब लात-मुक्का से मारा-पीटा और मुझे पीटते वक्त ही प्रमोद दास की हाथ दिवाल से जाकर टकरा गया जिसके वजह से उन्हें चोट लगया और विवेक दास का गीरने से सर फट गया, जिसका इलज्जाम मुझ गरीब और असहास 80 वर्ष के वृद्ध व्यक्ति के उपर इलजाम लगा रहे है। मैं तो खुद सही से चलने फिरने में असमर्थ रहता हूं और लाठी के सहारे चलता हूं। भला मैं जवान व्यक्ति को कैसे मार सकता हूं? मारने से पहले मार खाने के लिये सोचना पड़ेगा और उपर से मेरे पर इलजाम लगा रहा है।
विवेक दास भू-माफियाओं से मिलकर मठ की तमाम सम्पत्तियों को बेचकर विदेश भागने के फिराक में हैं। यही कारण है कि वहां के पुराने साधुओं को मार-पीट, धमका कर के बाहर निकालने का कार्य कर रहे हैं और पैसे के बल पर विवेक दास जैसा चाह रहे हैं वैसे कर रहे हैं। विवेक दास को जिन्होने उत्तराधिकारी बनाया था, वो फर्जी रूप से धन के बल पर महन्त बन गया और उन्ही को जेल भेजवा दिया था। जब विवेक दास तमाम जमीन को बेचना चालू कर दिया था तो गंगा शरण न विरोध किया तो उन्हीं के खिलाफ ही फर्जी केस कराकर जेल भेजवा दिया। यह तो जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत पर कार्य हो रहा है। विवेक दास फर्जीवाड़ा कर रहा है और उस पर कोई कार्यवाही नही हो रही है। विवेक दास के वजह से कबीर पंथ बदनाम हो रहा है।