वाराणसी
BHU में पहली बार ट्रांसकैथेटर विधि से छः महीने के बच्चे की हार्ट सर्जरी सफल

वाराणसी। IMS-BHU में चिकित्सा विज्ञान ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है। यहां साढ़े छह महीने के एक बच्चे के दिल के छेद को बिना ऑपरेशन और चीरे के बंद कर दिया गया। मात्र पांच किलोग्राम वजनी इस बच्चे की ट्रांसकैथेटर विधि से की गई पीडीए डिवाइस क्लोजर प्रक्रिया मेडिकल साइंस की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
बच्चे के कमजोर वजन और नाजुक शरीर के चलते यह सर्जरी बेहद जटिल मानी गई, लेकिन प्रोफेसर विकास अग्रवाल के नेतृत्व में सात डॉक्टरों की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया। अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल चुकी है।
दिल में छेद की यह समस्या, जिसे पेटेंट डक्टस आर्टेरियसस (PDA) कहा जाता है, जन्म से पहले की एक संरचना होती है जो जन्म के बाद स्वतः बंद हो जानी चाहिए। इसके बंद न होने की स्थिति में शिशु का वजन नहीं बढ़ता और बार-बार सांस व संक्रमण संबंधी दिक्कतें सामने आती हैं।
डॉक्टरों के अनुसार यह प्रक्रिया नवजात शिशुओं से लेकर वयस्कों तक के हृदय रोगों के इलाज के लिए उपयोगी है। ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में यह तकनीक सुरक्षित मानी जाती है, खासकर छोटे बच्चों के लिए जहां मृत्यु दर अधिक होती है।
सर्जरी में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रो. विकास अग्रवाल, डॉ. प्रतिभा राय, डॉ. मनीष, डॉ. अर्जुन और एनेस्थीसिया विभाग से प्रो. एपी सिंह, डॉ. संजीव और डॉ. प्रतिमा शामिल रहे।