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किसान आंदोलन: कृषि कानून वापसी के बाद अब कौन-कौनसी हैं किसानों की छह माँगें?
रविवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में पीएम मोदी को खुला खत लिखा गया है, जिसमें किसान संगठन ने सरकार से यह स्पष्ट कह दिया कि जब तक उनकी छह मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। एसकेएम ने स्पष्ट किया, मांग पूरी होने पर ही समाप्त होगा आंदोलन
आज लखनऊ मेें जुटेगी किसानों की महापंचायत
भले ही कृषि कानून वापसी का ऐलान पीएम मोदी के द्वारा कर दिया गया हो, लेकिन आंदोलन पर डटे किसानों के तेवर कम नहीं हुए हैं। रविवार को हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में पीएम मोदी को खुला खत लिखा गया है, जिसमें किसान संगठन ने सरकार से यह स्पष्ट कह दिया कि जब तक उनकी छह मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। आइए जानते हैं किसानों की छह माँगें कौन-कौन सी हैं-
पहली माँग – एमएसपी पर कानूनी अधिकार किसान संयुक्त मोर्च ने उत्पादन की व्यापक लागत के आधार पर एमएसपी को सभी कृषि उपज के लिए किसानों का कानूनी अधिकार बनाने की मांग पीएम मोदी के सामने रखी है।
दूसरी माँग – केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री की बर्खास्तगी किसान संगठन ने पीएम को लिखे खत में लखीमपुर खीरी घटना के संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और उनकी गिरफ्तारी की मांग रखी है।
तीसरी माँग – किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों की वापसी एसकेएम ने पीएम मोदी से आंदोलन के दौरान हुए किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की है।
चौथी माँग – आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के लिए स्मारक संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के लिए स्मारक का निर्माण किए जाने की मांग भी प्रधानमंत्री मोदी से की है।
पाँचवीं माँग – पर्यावरण संबंधी अधिनियम में बदलाव एसकेएम ने पर्यावरण संबंधी अधिनियम में किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हटाए जाने की मांग की है।
छठी माँग – प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक 2020-2021 की वापसी प्रधानमंत्री मोदी को लिखे ओपन लेटर में सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत संशोधन विधेयक 2020-2021 के मसौदे को वापस लेने की भी मांग को शामिल किया गया है।
मांग पूरी होने पर ही थमेगा किसान आंदोलन
पत्र में यह भी कहा गया, “प्रधानमंत्री, आपने किसानों से अपील की है कि अब हमें वापस लौट जाना चाहिए। हम आपको यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि हमें सड़कों पर बैठने का कोई शौक नहीं है। हमारी भी यहीं इच्छा है कि इन लंबित मुद्दों का जल्द से जल्द समाधान होने के बाद हम अपने घरों, परिवारों और खेतों को लौट सकें। अगर आप ऐसा चाहते हैं, तो सरकार को उक्त छह मांगों पर जल्द से जल्द संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता बहाल करनी चाहिए। तब तक, संयुक्त मोर्चा का आंदोलन जारी रहेगा।’ वहीं लखनऊ में किसानों की आज महापंचायत होने वाली है। इस महापंचायत पर भी किसान लखीम खीरी और एमएसपी पर गारंटी कानून के अलावा अन्य मुद्दों पर भी भाजपा सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश होगी। बहरहाल, संयुक्त किसान मोर्च की इन सभी छह माँगों को पूरा करना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा और किसान आंदोलन सरकार के लिए सिरदर्द बना रहेगा।