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वाराणसी

काशी में नंद महोत्सव के उल्लास में भक्त सराबोर

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वाराणसी। भारत भारती परिषद वाराणसी के तत्वावधान में श्री बीसूजी मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन नंद महोत्सव पर श्री संजय कृष्ण भइया जी ने कहा कि काशी न केवल धर्म और मोक्ष की नगरी है बल्कि उत्सवों और महोत्सवों की भी पावन भूमि है।

यहां प्रतिदिन किसी न किसी पर्व का आयोजन होता है। कथा के दौरान “नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की” के संगीतमय प्रस्तुतिकरण से श्रद्धालु भावविभोर होकर नृत्य करने लगे।उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण भक्ति का बीज बोता है जो प्रेम और स्नेह से परिपूर्ण होकर जीवन में आनंद और परमानंद की अनुभूति कराता है।

जब व्यक्ति परमानंद को महसूस करता है तो उसमें वसुधैव कुटुंबकम का भाव जागृत होता है, जो मानवता की रक्षा का आधार बनता है।संजय कृष्ण भइया ने समाज में दहेज प्रथा पर खेद प्रकट करते हुए कहा कि दुनिया में कन्यादान सबसे बड़ा दान है, जो दो कुलों को तारता है लेकिन दहेज जैसी कुप्रथा आज मानवता को कलंकित कर रही है।

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कथा के शुभारंभ पर व्यास जी का स्वागत संस्था के अध्यक्ष अशोक बल्लभदास और स्वागताध्यक्ष दीपक अग्रवाल ने किया। भक्तजनों का स्वागत राम नारायण और दिनेश यादव ने सपरिवार किया।

इस आयोजन में आर. राजीवन द्रविड़, डॉक्टर जयशंकर जय, पंडित राकेश तिवारी, नंदिनी यादव, कविता यादव, दीपेश चंद चौधरी, गौरव अग्रवाल, मुदित अग्रवाल, विजय यादव, संतोष अग्रवाल, मृदुला रानी, नारायण खेमका, अनूप अग्रवाल, मोहन चंद्र, वीणा अग्रवाल, दुर्गा देवी, लक्ष्मी रस्तोगी और राजेश अग्रवाल समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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