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वाराणसी

बिजलीकर्मियों का निजीकरण के खिलाफ मोर्चा, 30 नवंबर को आपात बैठक

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वाराणसी। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ बिजलीकर्मियों का विरोध तेज हो गया है। कर्मचारियों ने आंदोलन की रणनीति तैयार करने के लिए 30 नवंबर को वाराणसी के भिखारीपुर स्थित हनुमान मंदिर के पास आपात बैठक बुलाई है।

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन द्वारा तीन दिन पहले जारी आदेश में निजीकरण के प्रस्ताव का जिक्र था, जिसके बाद से ही कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। बिजली कर्मचारी इसे बर्दाश्त न करने का ऐलान कर चुके हैं।

निजीकरण को बताया असफल कदम
विद्युत मजदूर पंचायत के मीडिया प्रभारी अंकुर पांडेय ने कहा कि निजीकरण का फैसला बिजली क्षेत्र के लिए घातक साबित होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ था कि यदि पावर कॉर्पोरेशन बनने के एक साल के भीतर 77 करोड़ का घाटा कम नहीं होता है, तो इसे पुनः राज्य विद्युत परिषद बना दिया जाएगा। आज घाटा एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है, जो यह साबित करता है कि पावर कॉर्पोरेशन का गठन पूरी तरह असफल रहा है।

आंदोलन की तैयारी
कर्मचारी संगठनों ने दिसंबर में महापंचायत बुलाने का भी ऐलान किया है। निजीकरण के विरोध में आंदोलन की दिशा और भविष्य की रणनीति 30 नवंबर की बैठक में तय की जाएगी।

बिजलीकर्मियों का कहना है कि निजीकरण से न केवल उनकी नौकरियां प्रभावित होंगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। आंदोलन के मद्देनजर आने वाले दिनों में प्रदेश में बिजली आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।

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