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वाराणसी

राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया गया

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‘मैं नहीं,बल्कि आप’ (Not Me But You) है जो लोकतांत्रिक भावना को दर्शाता है।–प्रो हरिप्रसाद अधिकारी.

एनएसएस के माध्यम से एकता और राष्ट्रीयता का भाव जागृत होता है– प्रो दिनेश कुमार गर्ग.

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार
वाराणसी। एनएसएस का आदर्श वाक्य ‘मैं नहीं,बल्कि आप’ (Not Me But You) है जो लोकतांत्रिक भावना को दर्शाता है। इसकी वैचारिक अवधारण महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है जिसमें जन जन का और समाज का कल्याण निहित है। ये रेखांकित करते हैं कि व्यक्ति का कल्याण अंतत: समाज के कल्याण पर निर्भर है। एनएसएस कैडेट्स समाज के लोगों के साथ मिलकर समाज हित के लिए काम करते हैं। साक्षरता, पर्यावरण सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आपातकालीन या प्राकृतिक आपदा के समय ये लोग जी जान से सहायता में जुट जाते हैं। इनके चार प्रमुख तत्व हैं जिसमें छात्र, शिक्षक, समुदाय और कार्यक्रम शामिल है। देश के निर्माण में युवाओं का सर्वाधिक योगदान होता है और एनएसएस युवाओं को भूमिका को बढ़ाने और अग्रणी रखने की एक सार्थक योजना है।
उक्त विचार आज संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में आज राष्ट्रीय सेवा योजना विश्वविद्यालय इकाई के तत्वावधान में एनएसएस दिवस के अवसर पर तुलनात्मक धर्म दर्शन विभाग के वरिष्ठ आचार्य (प्रो) हरिप्रसाद अधिकारी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया.

देश के 391 विश्वविद्यालयों में इकाइयां संचालित–

राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो दिनेश कुमार गर्ग ने अध्यक्षता करते हुए इसके इतिहास और विकास के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि एनएसएस की शुरुआत 24 सितंबर 1969 में शुरु की गई थी। शुरूआत में इसे 37विश्वविद्यालयों में शुरू किया गया था जिसमें लगभग 40,000 स्वयंसेवियों को शामिल किया गया था। हालांकि, समय बीतने के साथ-साथ अखिल भारतीय कार्यक्रम बन गया। एनएसएस के अंतर्गत आने वाले शैक्षणिक संस्थानों की संख्या में प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्तमान में 39,695 एनएसएस इकाइयों में 36.5 लाख से अधिक स्वयंसेवी हैं जो देश के 391 विश्वविद्यालयों / +2 परिषदों, 16,278 कॉलेजों और तकनीकी संस्थानों तथा 12,483 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में फैले हुए हैं। इसकी स्थापना के बाद से, 4.78 करोड़ छात्रों को एनएसएस से लाभ हुआ है।
इसके माध्यम से जनसेवा, राष्ट्र कल्याण का कार्य किया जा रहा है. इससे एकता और राष्ट्रीयता का भाव जागृत होता है.
अन्य वक्ताओं में-
एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी गण क्रमशः डॉ विद्याचंद्रा ,डॉ कुंज बिहारी द्विवेदी,डॉ विजय कुमार शर्मा, डॉ विजेंद्र कुमार आर्य आदि ने अपने विचार व्यक्त किए.
विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित–राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस पर इससे जुड़े विद्यार्थियों के द्वारा पोस्टर,निबंध ,गीत आदि प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया.

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