Connect with us

वाराणसी

कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ ने प्रतिकार यात्रा में अन्य लोगों के साथ पूर्व विधायक अजय राय को भी छूट दिए जाने को लेकर राज्यपाल को दिया ज्ञापन

Published

on

रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

वाराणसी। हमारा संविधान हमे बराबरी का हक देता है । फिर यदि हम अगर संविधान की शपथ लेकर किसी संवैधानिक पद पर बैठे हों, तो हमारी जिम्मेदारी कहीं अधिक हो जाती है । यही हमारे संविधान की मूलभूत आत्मा कहती है । कानून की धाराएं सबके लिए समान होती हैं । वह व्यक्ति पद या दल देखकर नही बदला करतीं । अगर एक ही मामले और एक ही धारा में कोई भी व्यक्ति या समूह शामिल हो तो फिर यह कैसे संभव है कि किसी एक को छोड़ बाकी के ऊपर से धाराएं हटाकर उन्हें कानून की धाराओं से दोष मुक्त कर दिया जाय । क्या यह संविधान की मूलभूत भावना के अनुकूल है या कि विधि सम्मत निर्णय है ?

                    वाराणसी में आज से लगभग आठ साल पहले ठीक इसी तरह की एक घटना में  सूबे की योगी सरकार ने कुछ ऐसा ही एक निर्णय लिया है, जिससे योगी सरकार की मंशा खुलकर सामने आ चुकी है। 

               वस्तुतः वाराणसी में आठ साल पहले साधु संतों और जन प्रतिनिधियों की अगुवाई में प्रतिमा विसर्जन को लेकर निकाली गई प्रतिकार यात्रा के विरुद्ध दशाश्वमेध थाने में दर्ज विभिन्न मुकदमों ( 147, 148, 149, 332, 333,336, 353, 307, 395, 397, 435,436, 427, 342, भा द वि व लोक सम्पत्ति 3 / 4 लोक सम्पत्ति क्षती निवारण अधि के तहत कुल 82 लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में से 81 लोगों के खिलाफ योगी सरकार ने मुकदमा वापस लेने का फैसला लिया है, जिससे जुड़ा पत्र वाराणसी जिला मजिस्ट्रेट, वाराणसी के कार्यालय से पत्र संख्या 2790/18 वाद वापसी/ जे ए - 2023 दिनांक 29 मई 2023 को जारी किया गया है । 

                  इस समूचे प्रकरण में सबसे अहम बात यह है कि इस  में कुल 82 लोगों में से 81 लोगों के वाद को योगी सरकार ने वापस लेने का निर्णय लिया जबकि पांच बार के विधायक, मंत्री रहे तथा अजय रायजी के वाद को वापस नहीं लिया जोकि हमारे संविधान और कानून में निहित समता के सिद्धान्त की मूल भावना के खिलाफ भेद भाव वाला निर्णय है । इस पूरे प्रकरण को लेकर न सिर्फ वाराणसी कांग्रेसजनों बल्कि वाराणसी की जनता में गहरी नाराजगी व्याप्त है । पूर्व विधायक अजय राय का लगभग छः दशकों का राजनैतिक व सार्वजनिक जीवन निष्कलंक और बेदाग रहा है । अजय राय पर राजनैतिक मुकदमों को छोड़ दिया जाय तो अन्य कोई भी अपराधिक या अन्य कोई संगेय मुकदमा कहीं भी लंबित नही है, यह यथार्थ और वास्तविक सच है, फिर भी जिला प्रशासन योगी सरकार के दबाव में अजय राय के झूठे आपराधिक इतिहास का हवाला देकर उनपर से मुकदमा वापस न करने का बहाना बना रहा है, जोकि वास्तविक सत्य और तथ्य से कोसों दूर है । अगर हम वर्तमान भाजपा सरकार के विधायकों और सांसदों पर नजर डालें तो पाएंगे कि उनके यहां हत्या, लूट, बलात्कार, भ्रष्टाचार जैसे जघन्य अपराध करने वालों की एक लम्बी फेहरिस्त है । अतः ऐसे में अच्छा होता कि योगी सरकार दूसरों के चरित्र पर उंगली उठाने से पहले अपने खुद के लोगों के इतिहास को खंगाल लेती। खुद योगी आदित्यनाथ ने अपने खिलाफ लगे कई संगेय अपराधों को खुद अपनी ही कैबिनेट से छूट दिलाया । क्या यह नैतिक और विधि सम्मत है ?

                   सूबे की योगी सरकार के इस राजनैतिक विद्वेष पूर्ण तथा भेदभाव वाले निर्णय के खिलाफ़ आज वाराणसी कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष एडवोकेट लोकेश सिंह और विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह के नेतृत्व में सम्मानित अधिवक्ता बंधुओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने महामहिम  राज्यपाल महोदया श्रीमती आनंदी बेन पटेलजी को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी एस आर लिंगम को सौंपा । इस पत्रक  केस वापसी से जुड़े इस पूरे प्रकरण में माननीय राज्यपाल महोदया से हस्तक्षेप करने की अपील गई, ताकि सूबे की योगी सरकार और शासन की साख और निष्पक्षता बरकरार रहे ।

             विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह ने कहा कि - हमारे नेता अजय रायजी स्वभातः सत्यनिष्ठ और जनता के बीच अपने धवल सद्चरित्र, सादगी, ईमानदारी, मृदुल व्यवहार और कर्तव्यनिष्ठा के लिए बेहद लोकप्रिय हैं । अतः हमारे पूर्व विधायक एवं कांग्रेस प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय को भी फैजदारी एवं अन्य वादों में समान आधारों पर लंबित मामलों में अन्य आरोपियों के साथ राहत देने का आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को देने की हम लोगों ने राज्यपाल से अपील की है । इस अवसर पर अशोक सिंह, लोकेश सिंह, अभय कुमार सिंह, शिवानंद राय, विरेंद्र कुमार पांडेय, रितेश कुमार सिंह, 

Copyright © 2024 Jaidesh News. Created By Hoodaa

You cannot copy content of this page