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वाराणसी

फाइलेरिया की रोकथाम के लिए शुरू हुआ नाइट ब्लड सर्वे

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रिपोर्ट – प्रदीप कुमार

बड़ागांव ब्लॉक के कविरामपुर में दर्जीपुर हो रहा सर्वेक्षण

राज्य स्तरीय टीम के सदस्य जांच रहे फाइलेरिया प्रिविलेंस रेट

मंगलवार की रात कविरामपुर गांव में 216 लोगों का लिया सैंपल

फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

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वाराणसी: फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत राज्य स्तरीय स्वास्थ्य टीम ने मंगलवार रात आठ बजे बड़ागांव ब्लॉक के कविरामपुर ग्राम में हुये नाइट ब्लड सर्वे में 216 लोगों का सैम्पल लिया। यह कार्य में स्वास्थ्य विभाग व सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से गठित फाइलेरिया नेटवर्क के संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है। यह सर्वेक्षण बड़ागांव ब्लॉक के कविरामपुर और दर्जीपुर गाँव में चार जून तक चलेगा।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पाण्डेय ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के लिए राज्य स्तरीय टीम आई है, जो रात में लोगों के ब्लड का सैंपल लेकर फाइलेरिया संक्रमण की दर का पता लगाने का कार्य करती है। क्योंकि इसके परजीवी यानि माइक्रो फाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। इसका उद्देश्य फाइलेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल उपचार शुरू कर जिले को फाइलेरिया रोग मुक्त बनाना है। उन्होंने बताया कि यह सर्वेक्षण बड़ागांव में चार जून तक चलेगा। इसके लिए 600 ब्लड सैंपल लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद 12 से 16 जून तक पिंडरा ब्लॉक में चलेगा। दोनों ब्लॉकों में पिछले वर्ष सबसे अधिक फाइलेरिया के रोगी पाये गए थे। इसलिए यहाँ सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। इस सर्वे में 20 साल से अधिक आयु की महिलाओं एव पुरुषों का सैंपल लिया गया। सैंपल लेकर 216 रक्त पट्टिका बनाकर जांच के लिए भेजी गईं हैं। उन्होंने बताया कि बड़ागांव ब्लॉक में फाइलेरिया नेटवर्क के पाँच सदस्यों की ओर से करीब 125 लोगों का नाइट ब्लड सर्वे कराने के लिए जांच स्थान पर आने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया है। इन सदस्यों में निर्मला देवी (45), सुशीला देवी (54), श्यामदेई (60), कृष्ण कुमारी (56) और इंद्रावती देवी (55) शामिल हैं।
डाटा – जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में बड़ागांव में फाइलेरिया के 195 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 43और लिम्फोडीमा के 152 मरीज हैं। हाइड्रोसील के 43 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। जबकि पिंडरा में फाइलेरिया के 151 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 50 और लिम्फोडीमा के 101 मरीज हैं। हाइड्रोसील के 50 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है।
राज्य स्तरीय टीम में स्टेट कंसल्टेंट आशीष कुमार बाजपेयी एवं स्रोत शोधकर्ता राहुल कुमार, भूपेन्द्र और एचएन नेगी शामिल हैं। इस दौरान सीनियर मलेरिया इंस्पेक्टर विनोद, सीफार संस्था के जिला समन्वयक (एलएफ़/वीएल) सुबोध दीक्षित, आशा कार्यकर्ता एवं फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य का सहयोग रहा।

क्या है फाइलेरिया – जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है।

लक्षण : –

  1. कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।
  2. शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।
  3. हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।
  4. महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
  5. संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।

बचाव: –

  1. लक्षण लगने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
  2. फाइलेरिया की दवा का सेवन पांच वर्ष तक हर साल कर बचा जा सकता है।
  3. फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।
  4. साफ़-सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
  5. रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

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