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गोरखपुर

गोरखपुर के दक्षिणांचल में डीएपी संकट, किसानों में हाहाकार

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सचिव बोले— “आवक बढ़े तो हर खेत तक पहुंचेगी खाद”

गोरखपुर के दक्षिणांचल क्षेत्र में इस समय डीएपी खाद की भारी किल्लत ने किसानों की नींद उड़ा दी है। हरपुर बुदहट थाना क्षेत्र के ग्राम सभा विगही में सोमवार को साधन सहकारी समिति पर डीएपी खाद वितरण को लेकर जबरदस्त हंगामा खड़ा हो गया। खेतों में बुवाई का समय चल रहा है, ऐसे में खाद न मिलने से किसानों में गहरा असंतोष फैल गया है। समिति सचिव विद्यासागर और उनके मातहत कर्मचारी किसानों की भीड़ और आक्रोश के बीच बुरी तरह परेशान दिखे।

मीडिया से बातचीत में सचिव विद्यासागर ने कहा कि, “मैं चाहता हूं कि मेरे पास इतनी मात्रा में डीएपी उपलब्ध हो जिससे मैं अपने सभी किसानों की जरूरत पूरी कर सकूं। लेकिन आवक बेहद कम है। जितना खाद आता है, उतना ही वितरण किया जा सकता है। हम प्राथमिकता के आधार पर किसानों को खाद देने का पूरा प्रयास कर रहे हैं, पर कमी के कारण सबको समान रूप से संतुष्ट कर पाना असंभव है।”

सचिव के अनुसार, समिति को मात्र 240 बोरी डीएपी खाद की आपूर्ति हुई है जबकि पंजीकृत किसानों की संख्या करीब 2000 है। ऐसे में यदि प्रत्येक किसान को नियम अनुसार केवल एक बोरी भी दी जाए तो भी लगभग 1760 किसान खाली हाथ लौटने को मजबूर होंगे। यही कारण है कि समिति परिसर में कई किसान नाराज दिखे और कुछ ने शासन-प्रशासन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सचिव और कर्मचारी जानबूझकर कमी दिखा रहे हैं। कई लोगों ने मुख्यमंत्री पोर्टल तक शिकायत करने की धमकी भी दी।

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हालात बिगड़ते देख प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। थाना प्रभारी हरपुर बुदहट विवेक मिश्रा ने मय फोर्स मौके पर पहुंचकर व्यवस्था संभाली और शांतिपूर्ण तरीके से खाद वितरण कराया। उन्होंने किसानों से संयम बरतने की अपील की और भरोसा दिया कि शासन स्तर पर डीएपी की नई खेप आने पर सभी किसानों को उनकी आवश्यकता अनुसार खाद उपलब्ध कराई जाएगी।

इस मौके पर कई मीडिया चैनलों के पत्रकार भी मौजूद रहे जिन्होंने स्थिति का जायजा लिया और सचिव विद्यासागर से विस्तार से बातचीत की। सचिव ने कहा, “हम पर चोरी या भेदभाव के आरोप लगाना अनुचित है। हम तो चाहते हैं कि सरकार डीएपी की आपूर्ति बढ़ाए ताकि किसी किसान को निराश न होना पड़े। हमारा लक्ष्य किसानों की मदद करना है, न कि उन्हें परेशान करना।”

किसानों की यह समस्या केवल विगही तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे दक्षिणांचल क्षेत्र में यही हाल है। कई समितियों पर डीएपी की आपूर्ति बेहद सीमित है, जबकि मांग कई गुना अधिक है।

ऐसे में यह आवश्यक है कि सरकार किसानों की वास्तविक स्थिति को समझे और समय रहते उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करे। अन्यथा खेतों में बुवाई का कार्य प्रभावित होगा, जिसका असर सीधे तौर पर उत्पादन पर पड़ेगा। किसानों की मेहनत और सचिवों की ईमानदार कोशिश तभी सार्थक होगी जब शासन डीएपी संकट को गंभीरता से लेकर राहत पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाए।

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यह स्थिति सरकार के लिए चेतावनी है कि कृषि व्यवस्था की रीढ़ किसान तब ही मजबूती से खड़ी रह सकती है जब समय पर खाद, बीज और सिंचाई की सुविधा उन्हें मिल सके।

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