वाराणसी
उपमुख्यमंत्री का सख्त रुख: ब्रांडेड और बाहर की दवा लिखने वाले डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई
वाराणसी के अस्पतालों को मिलेंगी नई सुविधाएं, दीनदयाल में एमआरआई और एलबीएस में सीटी स्कैन की मंजूरी
वाराणसी। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शहर में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों में अब एक भी दवा की कमी नहीं होनी चाहिए। सभी केंद्रों पर मानक के अनुरूप सौ प्रतिशत दवाएं हर समय उपलब्ध रहें।
उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि जो डॉक्टर मरीजों को ब्रांडेड या बाहर की दवाएं लिखेंगे, उनके खिलाफ तत्काल विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि मरीजों को सस्ती और जेनरिक दवाओं से राहत मिलनी चाहिए, इसलिए हर चिकित्सक को इसका पालन करना अनिवार्य होगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी को व्यवस्था में कमी पर फटकार लगाते हुए उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्रों की निगरानी नियमित रूप से की जाए। सस्ती दवाओं की आपूर्ति और वितरण व्यवस्था मजबूत करने के निर्देश भी दिए गए।

बैठक में मंडल के सभी जिलों के अधिकारियों को आदेश दिया गया कि गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर दवाओं का आर्थिक बोझ कम करने के लिए जेनरिक दवाओं को प्राथमिकता दी जाए।
अस्पतालों को मिलेंगी नई सुविधाएं
पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में एमआरआइ मशीन लगाने के लिए 25 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। इससे मरीजों को अब निजी केंद्रों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वहीं, लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय रामनगर में 3.50 करोड़ रुपये की लागत से सीटी स्कैन मशीन स्थापित की जाएगी।

महिला अस्पताल कबीरचौरा की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नीना वर्मा ने एनेस्थेटिस्ट की कमी का मुद्दा उठाया, जिस पर उपमुख्यमंत्री ने शीघ्र व्यवस्था सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि महिला स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए आवश्यक स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया तेज की जाएगी।
आधुनिक उपकरणों और सुविधाओं की मांग
मंडलीय चिकित्सालय के अधिकारियों ने एमआरआइ मशीन, डिजिटल एक्स-रे, दो एंबुलेंस, जनरेटर सेट व अन्य उपकरणों की मांग रखी। इसके अलावा पैथोलॉजी, डेंटल, नेत्र, आर्थोपेडिक और ऑपरेशन थिएटर के लिए भी नई मशीनों की जरूरत जताई गई।
आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की समीक्षा
उपमुख्यमंत्री ने भीटी रामनगर स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर की ऑनलाइन व्यवस्था का भी जायजा लिया। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी आयुष्मान केंद्रों में 100 प्रतिशत सुविधाएं सुचारु रहें। टेली-मेडिसिन, ई-संजीवनी और दवा वितरण की डिजिटल प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले मरीजों को नजदीकी केंद्रों पर ही बेहतर इलाज मिलना चाहिए ताकि उन्हें दूर नहीं जाना पड़े।
