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वाराणसी

ढाई लाख बच्चों के लिए महज़ 70 हजार, खेल बजट पर उठे सवाल

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वाराणसी। बेसिक शिक्षा विभाग में खेल के नाम पर बच्चों का भविष्य दांव पर लग रहा है। जिलेस्तर पर बच्चों की संख्या और शासन से आने वाले बजट में भारी अंतर है। खेल सामग्री की कमी से बच्चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।

वाराणसी जिले के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब 2.50 लाख बच्चों को पूरे शैक्षणिक सत्र में 26 खेलों में भाग दिलाया जाता है। मगर शासन से इसके लिए महज 70 हजार रुपये का बजट जारी किया जाता है। यानी प्रति बच्चे पर पूरे साल में खेलों पर खर्च सिर्फ 28 पैसे ही होता है।

सरकार की मंशा ओलंपिक जैसे बड़े खेल आयोजनों में अधिक से अधिक बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने की है, लेकिन मौजूदा बजट इस लक्ष्य में बाधा बना हुआ है।

वाराणसी के 1144 प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शासन से हर साल 60 से 70 हजार रुपये का बजट आता है। वहीं खेल सामग्री खरीदने के लिए केवल 5000 रुपये ही जारी किए जाते हैं। बढ़ती महंगाई के बीच इस राशि में न तो जरूरी सामग्री खरीदी जा सकती है और न ही प्रतियोगिताएं कराई जा सकती हैं।

देश का राष्ट्रीय खेल हॉकी प्राथमिक स्तर पर उपेक्षित है। न तो बच्चों के पास किट होती है, न जूते और न ही मैदान। तैराकी के लिए लाइफ गार्ड नहीं, क्रिकेट के लिए बजट नहीं, फुटबॉल के लिए जूते-मोजे नहीं और ताइक्वांडो के लिए सेफ गार्ड नहीं हैं।

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जिले के एक खेल शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कम से कम 10 लाख रुपये सालाना बजट की जरूरत है। तभी बच्चों के खेलों की स्थिति सुधर सकती है। वहीं, संयुक्त सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश, वेद प्रकाश राय ने कहा कि खेल बजट को बढ़ाने के लिए मंथन जारी है और शासन को प्रस्ताव भी भेजा गया है। अनुमति मिलते ही बजट बढ़ा दिया जाएगा।

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