वाराणसी
काशी के 3500 साल पुराने बर्तन होंगे लोथल राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय में प्रदर्शित

वाराणसी। बीएचयू के प्राचीन इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ पुराविद् प्रो. वसंत शिंदे ने कहा है कि काशी (वाराणसी) से मिले 3500 साल पुराने मिट्टी के बर्तन, टेराकोटा की मूर्तियाँ और पत्थर की प्रतिमाएँ गुजरात में निर्माणाधीन लोथल के राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर संग्रहालय में रखी जाएँगी।
प्रो. शिंदे ने बताया कि इस संग्रहालय में अयोध्या में हुई खुदाई के राम मंदिर से जुड़े साक्ष्य, नरहन में मिले अवशेष और लहुरादेव में मिले लगभग 8000 साल पुराने मानव-निवास के चिन्ह तथा भारत में चावल की प्रारंभिक खेती के साक्ष्य भी शामिल किए जाने हैं।
प्रो. शिंदे ने यह भी कहा कि समुद्री विरासत केवल समुद्री क्षेत्रों तक सीमित नहीं है बल्कि नदियों के किनारे बसे प्राचीन शहरों को भी इसमें शामिल किया गया है। काशी और अन्य प्राचीन केन्द्रों को पूरे भारत के इतिहास से जोड़ने के लिए बीएचयू जल्द ही समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला है। बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की ओर से लोथल संग्रहालय के लिए 400 एकड़ जमीन पर यह राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर बनाया जा रहा है।
प्रो. शिंदे ने कहा कि इस म्यूजियम में गुजरात से लेकर बंगाल तक के इतिहास को एक साथ दिखाया जाएगा और काशी का लगभग 4000 साल तथा हड़प्पा का लगभग 5000 साल पुराना इतिहास प्रदर्शित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन काल में भारत में पोतगाह और जहाज निर्माण की कला विद्यमान थी और रोमन सभ्यता ने कुछ शिपबिल्डिंग तकनीकें यहाँ से सीखी थीं।