वाराणसी
स्वामी प्रसाद मौर्य पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश

वाराणसी। रामचरितमानस पर दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया है। यह आदेश अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चतुर्थ (एमपी-एमएलए) नीरज कुमार त्रिपाठी की अदालत से आया है, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
यह मामला वकील अशोक कुमार द्वारा दाखिल की गई याचिका पर आधारित है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि मौर्य ने एक इंटरव्यू में श्रीरामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथ को लेकर अपमानजनक टिप्पणियाँ की थीं। उन्होंने कथित रूप से कहा था कि तुलसीदास ने यह ग्रंथ अपनी खुशी के लिए लिखा और इसमें कई आपत्तिजनक अंश हैं, जिन्हें हटाया जाना चाहिए या फिर पूरी पुस्तक को प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
इस बयान की वजह से समाज में धार्मिक और जातीय विभाजन का खतरा उत्पन्न हुआ, लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने 21 मार्च 2023 को न्यायालय में गुहार लगाई। हालांकि, इस याचिका को पहले खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके विरुद्ध पुनरीक्षण याचिका दायर की गई, जो विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) यजुवेन्द्र विक्रम सिंह की अदालत में स्थानांतरित हुई। सभी साक्ष्यों और बहसों के बाद अदालत ने नौ मई 2025 को दोबारा सुनवाई कर आदेश देने को कहा।
अब अदालत के आदेश के बाद कैंट पुलिस को इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू करनी होगी। यह मामला न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील बन गया है।