गाजीपुर
बहरियाबाद में नाग पंचमी की धूम, गांव-गांव गूंजे दंगल और पूजा के जयघोष

गाजीपुर। बहरियाबाद क्षेत्र के आसपास के गांवों में नाग पंचमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। प्रत्येक गांव में कबड्डी, कुश्ती, दंगल का आयोजन किया गया। क्षेत्र के पहलवानों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर डॉक्टर पुरुषोत्तम भारद्वाज ने बताया कि इस दिन सर्पों की पूजा का प्राचीन पर्व नाग पंचमी हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सर्प देवता की पूजा को समर्पित है। यह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
नाग पंचमी का महत्व प्राचीन काल से चला आ रहा है। सर्पों को हिंदू धर्म में शक्ति, उर्वरता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। कई पौराणिक कथाएं नागों को देवताओं से जोड़ती हैं:
भगवान शिव का आभूषण: भगवान शिव अपने गले में सर्प धारण करते हैं, जो उनके रुद्र रूप का एक अभिन्न अंग है।
भगवान विष्णु का आसन: भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग पर विराजमान हैं, जो ब्रह्मांड के आधार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
कृष्ण और कालिया: भगवान कृष्ण ने यमुना नदी को कालिया नाग के विष से मुक्त किया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
नाग लोक: हिंदू पौराणिक कथाओं में पाताल लोक को नागों का निवास स्थान माना जाता है, जहाँ वे धन और गुप्त खजानों की रक्षा करते हैं।
यह भी माना जाता है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने से काल सर्प दोष (यदि किसी की कुंडली में हो) से मुक्ति मिलती है और सांप के काटने का भय भी कम होता है। किसान इस दिन सर्पों की पूजा इसलिए भी करते हैं ताकि वे उनकी फसलों को नुकसान न पहुँचाएँ और खेतों में चूहों को नियंत्रित करें।
पूजा विधि और अनुष्ठान
नाग पंचमी के दिन भक्त कई अनुष्ठान करते हैं।
नागों की पूजा: इस दिन नागों की मूर्तियों, चित्रों या जीवित सर्पों की पूजा की जाती है। कुछ लोग सँपेरों से सांप खरीदकर उन्हें दूध पिलाते हैं, हालांकि वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से यह प्रथा अब हतोत्साहित की जाती है।
दूध और लावा अर्पित करना: नाग देवता को दूध, लावा (भुने हुए जौ या धान), फूल और मिठाई अर्पित की जाती है।
व्रत रखना: कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और केवल एक समय भोजन करते हैं या कुछ भी नहीं खाते।
दीवारों पर नागों का चित्र बनाना: घरों की दीवारों पर हल्दी, कुमकुम और चंदन से सर्पों के चित्र बनाए जाते हैं।
नाग मंदिरों में दर्शन: भक्त नाग मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं, जहाँ विशेष पूजा और हवन आयोजित किए जाते हैं।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य और जागरूकता
आधुनिक युग में नाग पंचमी के उत्सव को पर्यावरण संरक्षण और सर्पों के प्रति जागरूकता से जोड़ा जा रहा है। वन्यजीव विशेषज्ञों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को जीवित सर्पों को परेशान न करने, उन्हें दूध न पिलाने (क्योंकि वे दूध पचा नहीं सकते), और उन्हें जंगल में उनके प्राकृतिक आवास में रहने देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कई स्थानों पर ‘सर्प मित्र’ संगठन इस दिन सर्पों को बचाने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर छोड़ने का कार्य करते हैं।
नाग पंचमी एक अनूठा त्योहार है जो मनुष्य और प्रकृति के बीच के गहरे संबंध को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि हमें सभी जीवों, विशेषकर उन जीवों का सम्मान करना चाहिए जो पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह एक ऐसा पर्व है जो प्राचीन परंपराओं को आधुनिक जागरूकता के साथ जोड़कर एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।