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वाराणसी

दुष्कर्मी को सात वर्ष की कड़ी कैद, संदेह का लाभ देते हुए दो महिला बरी

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वाराणसी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एफटीसी कोर्ट, प्रथम) नीरज श्रीवास्तव की अदालत ने 342 भारतीय दंड विधान अंतर्गत थाना कैंट में अभय उर्फ माइकल निवासी हुकूलगंज को भारतीय दंड विधान कि धारा 376 में दोषी पाते हुए सात साल की कड़ी कैद व दस हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। वही अभियुक्त बेबी नाज व मंजू लता सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। अदालत में अभियुक्त बेबी नाज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा ने पक्ष रखा।

अभियोजन पक्ष के अनुसार हुकूलगंज निवासिनी वादिनी ने 28 मार्च 2014 को थाना कैंट में अभय उर्फ माइकल, बेबी नाज व मंजू लता सिंह के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी। आरोप था कि उसका पड़ोसी अभय उर्फ माइकल उससे प्रेम भरी बाते करता था। 16 जनवरी 2014 को उसकी चाची मंजू लता सिंह ने अपने घर बुलाया वहां अभय उर्फ माइकल और उसकी मां शैला देवी, पिता अमरनाथ व मंजू लता ने पीड़िता और माइकल से शादी का प्रलोभन देते हुए उसे घर में छुपा दिया और अभय उर्फ माइकल ने 16 जनवरी 2014 से 23 जनवरी 14 तक उसके साथ लगातार बलात्कार किया। विरोध करने पर उसे प्रताड़ित भी किया। 23 जनवरी 2014 को यह लोग जबरदस्ती ककरमत्ता निवासिनी बेबी नाज के घर ले गए और वहां बेबी नाज व अनवर ने मेरा सिम कार्ड निकाल लिया और उसे प्रताड़ित करने लगे और गुवाहाटी में उसे बेचने की बात करने लगे। इस तरह माइकल उसके माता-पिता चाची मंजूलता सिंह से मिलकर धोखा दिया और एक अपराधिक षड्यंत्र के साथ उसके साथ दुराचार किया गया तथा अपहरण किया गया। मौका मिलते ही किसी तरह 26 मार्च 2014 बेबी नाज व अनवर के घर से निकल कर भागी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी को तथा कैंट थाने में इन लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई। प्रथम दृष्टया अपराध व साक्ष्यों का अवलोकन करते हुए अभियुक्तगणों के विरुद्ध अपराध प्रमाणित होने पर आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया और विचरण किया गया।

बेबी नाज व मंजू लता सिंह के वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा ने अपने बस में अभियुक्ता की ओर से तर्क देते हुए कहा कि बेबी नाज के घर पर उसे जबरदस्ती रखने का आरोप गलत है। जबकि वास्तविकता यह है कि वह बेबी नाज के घर अपनी मर्जी से गई थी और वहां से लखनऊ भी गई थी और रास्ते में कई दिनों तक आना जाना किसी से भी पीड़िता द्वारा बेबी नाज द्वारा अपहरण व जबरदस्ती रोकने के संबंध में कोई भी बात नहीं बताई। यहां अभियोजन पक्ष अभियुक्त बेबी नाज व मंजू लता सिंह के विरुद्ध अभियोजन पक्ष धारा 342 का आरोप संदेश से परे साबित करने में विफल है और 366 का भी अपराध अभियुक्तगणों के विरुद्ध नहीं मरता। क्योंकि उसके चाची द्वारा उसके बुलाए जाने पर जाने की बात प्राथमिकी व विचरण में कहा गया। इसलिए इन्हें बाइज्जत बरी किया जाए।

न्यायालय ने सभी साक्ष्यों का अवलोकन करते हुए अभियुक्त  बेबी नाज व मंजूलता सिंह को 366, 342 व 420 भारतीय दंड विधान के आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया। अभियुक्ता बेबी नाज व मंजू लता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव वर्मा, रोहित मिश्रा, सनी गुप्ता व शाहिदा रिजवी ने विचारण के दौरान प्रति परीक्षा और बहस किया।

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