वाराणसी
पंचक्रोशी यात्रा में शामिल होंगे 500 से अधिक नागा साधु
वाराणसी में जूना अखाड़े का विस्तार
वाराणसी। महाशिवरात्रि के बाद काशी नगरी में आध्यात्मिक उल्लास का माहौल बन गया है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के पश्चात नागा साधु-संन्यासी रंगों के पर्व की तैयारी में जुट गए हैं। परंपरा के अनुसार, अधिकांश संन्यासी अपने अखाड़ों में ही होली मनाते हैं, जबकि कुछ चुनिंदा साधु “मसाने की होली” खेलते हैं।
5 मार्च से शुरू होगी 75 किमी की पंचक्रोशी यात्रा
होली से पहले नागा साधु पंचक्रोशी यात्रा का आयोजन करेंगे। यह यात्रा 5 मार्च को सुबह 6 बजे शिवाला स्थित अखाड़े से प्रारंभ होगी और पांच पड़ावों से होते हुए 5 दिनों में पूर्ण होगी। श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पूर्व श्रीमहंत रविंद्र गिरि महाराज के अनुसार, इस यात्रा में 500 से अधिक नागा साधु भाग लेंगे।
यात्रा का मार्ग इस प्रकार रहेगा:
प्रथम पड़ाव: कर्दमेश्वर महादेव मंदिर
द्वितीय पड़ाव: भीमचंडी
तृतीय पड़ाव: रामेश्वर महादेव मंदिर
चतुर्थ पड़ाव: पांचों पांडव
अंतिम पड़ाव: कपिलधारा
कपिल मुनि की प्रतिमा संग यात्रा
महानिर्वाणी अखाड़े के आराध्य कपिल मुनि हैं, जिनकी तपस्थली कपिलधारा इस यात्रा का अंतिम पड़ाव होगी। नागा संन्यासी यात्रा के दौरान कपिल मुनि की प्रतिमा को भी साथ लेकर चलेंगे।
वाराणसी में जूना अखाड़े का विस्तार
बैजनत्था (कमच्छा) स्थित श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े का विस्तार किया जा रहा है। भूमिपूजन समारोह में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, महंत प्रेम गिरि महाराज, राष्ट्रीय सचिव स्वामी महेश पुरी और स्वामी शैलेन्द्र गिरि उपस्थित रहे।
महाकुंभ में आधे भारत की आस्था
स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने बताया कि हाल ही में संपन्न महाकुंभ में देश की लगभग आधी आबादी ने भाग लिया, जिससे भारतीय संस्कृति और परंपराओं का वैश्विक मंच पर प्रदर्शन हुआ। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक समरसता और एकता का प्रतीक भी बना।
काशी की गलियों में पंचक्रोशी यात्रा और नागा साधुओं की होली भक्तों के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव होगी।