गाजीपुर
हाईवे का निर्माण पूरा, फिर भी दरारें; मरम्मत का काम जारी
पीएनसी ग्रुप को ठेका देने की प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल
गाजीपुर। गाजीपुर-वाराणसी हाईवे पर निर्माण पूरा हो चुका है। नेशनल हाईवे 31 पर गाड़ियां दिन-रात चलती रहती हैं। लॉजिस्टिक के बड़े-बड़े कंटेनर भी इसी रोड पर जाते रहते हैं। इस रोड को बनाने की जिम्मेदारी “पी एन सी” ग्रुप ने ली थी और इस सड़क का निर्माण समय से पूरा भी किया। लेकिन गाजीपुर से बनारस जाते समय इस रोड पर दरारें पड़ी हुई हैं और कई जगह उन दरारों को भरने के लिए मजदूर काम करते रहते हैं।
पी एन सी ग्रुप को निर्माण का ठेका सबसे पहले अखिलेश यादव की सरकार ने दिया था और फिर सरकार बदलने के बाद इसी कंपनी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बड़े पैमाने पर काम को स्वीकृति दी गई। इस कंपनी के पार्टनर नवीन के कारण बड़े पैमाने पर कामों को मैनेज किया गया। नवीन का भारतीय जनता पार्टी में मजबूत पकड़ है। इसी कारण निर्माण कार्य में कंपनी 1999 से सक्रिय है।
देश में जितने भी फोरलेन हाईवे बन रहे हैं, उन सभी का काम पी एन सी को मिल रहा है। पी एन सी कंपनी में तीन पार्टनर हैं और तीनों के नाम के पहले अक्षर से कंपनी का नामकरण हुआ है। इस कंपनी को नेशनल हाईवे ऑफ इंडिया की ओर से कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा नाम होने के बाद भी जगह-जगह सड़कों का टूटना समझ से परे है। क्या काम में गुणवत्ता की कमी थी? या ठेकेदारों की मनमानी में कंपनी की सहमति है? जो मटेरियल इस्तेमाल किए गए, क्या वह अपने मानदंड पर खरे उतरे हैं? ऐसे सवालों से कंपनी कब तक अपने को बचाएगी?
जयदेश संवाददाता पीयूष सिंह मयंक ने 12 किलोमीटर की फोरलेन पर यात्रा कर इन कमियों को देखने की कोशिश की है। “नेशनल हाईवे ऑफ इंडिया” की नजर में ऐसी त्रुटियां आई हैं या नहीं, देखना दिलचस्प होगा।
विश्व स्तर पर अपने काम का डंका पीटने वाली पी एन सी राष्ट्रीय स्तर पर सड़कों के निर्माण का ठेका पाने में सफल रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भी नेशनल हाईवे ऑफ इंडिया से पुरस्कृत पी एन सी कंपनी के ऊपर गुणवत्ता के साथ समझौते पर आम आदमी सवाल उठा रहा है। जगह-जगह टूट-फूट के कारण आवागमन भी बाधित रहता है।
“सड़क का इतना जल्दी टूट जाना फोरलेन पर चलने वाले प्रत्येक यात्री को हैरान करता है।” केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को काम देते समय गुणवत्ता और पारदर्शिता के साथ कार्यों का मूल्यांकन दृढ़ता के साथ करना चाहिए। ऐसी जन भावना आम आदमी की है। यदि ग्लोबल स्तर पर पुरस्कार मिले हैं तो गुणवत्ता के साथ समझौता क्यों करना है?
