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वाराणसी

हाईकोर्ट ने बनारस क्लब से जमीन विवाद पर मांगा जवाब

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वाराणसी।  बनारस क्लब की जमीन से जुड़े चर्चित विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्लब को लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। यह मामला, जो 14 साल से जिला जज की अदालत में लंबित था, अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। बार और बेंच की लाइब्रेरी के लिए आरक्षित जमीन होने का दावा करने वाले वकीलों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की है।

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बनारस क्लब सहित सभी प्रतिवादी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। वादी को भी अपना प्रत्युत्तर एक सप्ताह के भीतर दाखिल करने को कहा गया है। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।

जमीन विवाद की पृष्ठभूमि:
बनारस क्लब, जो कचहरी की दीवार से सटा हुआ है, पर बार और बेंच की लाइब्रेरी के लिए आरक्षित जमीन पर कब्जा करने का आरोप है। 27 जनवरी 2011 को तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट एसएन शुक्ल ने आराजी नंबर 211 (मौजा पहाड़पुर) और आराजी नंबर 850 (मौजा सिकरौल) को अवैध कब्जा मानते हुए क्लब को बेदखली का आदेश दिया था। इसके खिलाफ क्लब ने जिला जज कोर्ट में अपील की, जो अब तक लंबित है।

14 साल में 30 स्थगन प्रार्थनापत्र:
अधिवक्ता नित्यानंद राय ने कोर्ट को जानकारी दी कि इस मामले में 30 से अधिक स्थगन प्रार्थनापत्र दायर किए गए हैं, जिससे केस लंबित रहा। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपील में पार्टी बनने के लिए 10 अक्तूबर 2023 को अर्जी दाखिल की थी, लेकिन यह अर्जी 17 मई 2024 को खारिज कर दी गई।

नित्यानंद राय ने अपनी याचिका में दावा किया कि बनारस क्लब की जमीन बार और बेंच की लाइब्रेरी के लिए आरक्षित है। उन्होंने सेंट्रल बार एसोसिएशन की सहमति और सहयोग का उल्लेख करते हुए मामले में तेजी से कार्रवाई की मांग की।

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हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले को खारिज नहीं किया जाएगा और कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। क्लब सहित सभी पक्षों को समयबद्ध तरीके से जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।

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