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सुशांत के बाद कार्तिक पर भी ‘इंडस्ट्री एजेंडा’? सुनील शेट्टी के इशारे से फिर गरमाई बहस!

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मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी ने हाल ही में फिल्म इंडस्ट्री में चल रही कथित पॉलिटिक्स की ओर इशारा करते हुए यह संकेत दिया है कि कार्तिक आर्यन के खिलाफ एक एजेंडा चलाया जा रहा है। उनका यह इशारा उस बहस से जुड़ता है, जो पहले सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के मामले के बाद नेपोटिज्म और आउटसाइडर्स के साथ व्यवहार को लेकर तेज हुई थी।

सुशांत सिंह राजपूत की 20 जून 2020 को उनके घर में मौत पाई गई थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि उनकी मौत हत्या थी, आत्महत्या या किसी अन्य कारण से हुई। इस घटना ने न सिर्फ उनके फैंस को गहरा झटका दिया, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म और अंदरूनी राजनीति पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उस समय यह धारणा बनी कि सुशांत को एक आउटसाइडर के तौर पर देखा गया और उन्हें साइडलाइन किया गया।

इसी पृष्ठभूमि में अब कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) को लेकर फिर बहस उठी है। उनकी फिल्म ‘तू मेरी मैं तेरा मैं तेरा तू मेरी’ के बॉक्स ऑफिस पर अपेक्षित प्रदर्शन न करने के बीच एक रील वायरल हुई, जिसमें यह दावा किया गया कि अभिनेता को साइडलाइन करने और उनकी फिल्म को फ्लॉप साबित करने के लिए एक एजेंडा चलाया जा रहा है।

इस वायरल रील को सुनील शेट्टी (Suniel Shetty) ने लाइक किया, जिससे यह संकेत मिला कि वे इसमें उठाए गए मुद्दों से सहमत हैं। रील में कहा गया कि यदि किसी को फिल्म पसंद नहीं आती तो वह वैध बिंदुओं के आधार पर आलोचना कर सकता है, लेकिन किसी खास अभिनेता को लगातार “फेक पीआर प्रोडक्ट” बताना गलत है। रील में यह भी आरोप लगाया गया कि कुछ क्रिएटर्स और बड़े यूट्यूबर्स को पैसे देकर किसी अभिनेता के खिलाफ नेगेटिव वीडियो बनाने के लिए अप्रोच किया जा रहा है।

रील के अनुसार, यह आलोचना नहीं बल्कि किसी को नीचा दिखाने की कोशिश है और यह आउटसाइडर्स के लिए इंडस्ट्री के दरवाजे बंद करने जैसा है। इसमें यह भी कहा गया कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी और यह एक गहरी व गंदी पॉलिटिक्स है, जो बाहर से दिखाई नहीं देती।

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इस रील को Instagram पर इन्फ्लुएंसर मैडी प्रशांत ने साझा किया था। वीडियो के कैप्शन में लिखा गया कि यह किसी फिल्म को पसंद या नापसंद करने की बात नहीं है, बल्कि यह समझने की जरूरत है कि आलोचना कहां खत्म होती है और क्रूरता कहां शुरू होती है। कहानी, स्क्रीनप्ले, डीआई या गानों पर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन पर्सनल गाली-गलौज, करियर खत्म करने की धमकियां और किसी बाहरी व्यक्ति के खिलाफ टारगेटेड नफरत बेहद गलत है। सिनेमा ईमानदारी का हकदार है, न कि पैसे लेकर किया गया शोर या किसी के चरित्र को बदनाम करने की कोशिश।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक बार फिर फिल्म इंडस्ट्री में आउटसाइडर्स, नेपोटिज्म और कथित पॉलिटिक्स को लेकर बहस तेज हो गई है।

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