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सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का प्रबल दावेदार है भारत : मार्गरेट मैकलायड

यूक्रेन-रूस विवाद पर अमेरिका का दृष्टिकोण
मुंबई। लंदन स्थित अमेरिकन दूतावास में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट के तहत कार्यरत लंदन इंटरनेशनल मीडिया हब की हिंदुस्तानी प्रवक्ता मार्गरेट मैकलायड का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता मिले, ताकि यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जटिल अंतरराष्ट्रीय समस्याओं को हल करने और शांति स्थापित करने में अपनी भूमिका निभा सके।
बीकेसी स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में मुंबई के हिंदी पत्रकारों से चर्चा करते हुए मैकलायड ने कहा कि भारत का वैश्विक प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और नई दिल्ली अब सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए एक प्रबल दावेदार बन चुका है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 1945 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थापना के समय केवल 51 सदस्य देश थे, जबकि आज इसकी संख्या 193 हो गई है। इस बदलते वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर सुरक्षा परिषद के विस्तार की आवश्यकता है।
यूक्रेन-रूस विवाद पर अमेरिका का दृष्टिकोण
यूक्रेन को अमेरिकी सहायता का समर्थन करते हुए मैकलायड ने कहा कि रूस यूक्रेन को तबाह करने पर आमादा है। ऐसे में अमेरिका मूकदर्शक नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की संप्रभुता की रक्षा के लिए मानवीय आधार पर पूरी दुनिया को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने रूस पर स्कूलों, अस्पतालों और आवासीय इलाकों पर बमबारी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि अमेरिका ने यूक्रेन का समर्थन रोक दिया, तो इससे यूरोप में अस्थिरता और वैश्विक स्तर पर अमेरिकी नेतृत्व की साख को नुकसान पहुंचेगा।
उन्होंने इस संघर्ष को लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बताया और कहा कि अमेरिका इसे रोकने के लिए हरसंभव मदद जारी रखेगा।
गाजा संघर्ष पर अमेरिका का रुख
गाजा संघर्ष के सवाल पर उन्होंने बाइडन प्रशासन के रुख का समर्थन करते हुए कहा कि अमेरिका इजरायल की सुरक्षा का पक्षधर है, लेकिन उसने गाजा में मानवीय सहायता और राहत सामग्री की पहुंच बढ़ाने का भी आह्वान किया है। मैकलायड ने हमास पर संघर्ष विराम वार्ता को बाधित करने का आरोप लगाया और कहा कि गाजा में नागरिकों की स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका ने अपनी प्राथमिकता हमेशा मानवीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता पर केंद्रित रखी है।